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सार्क की राह में पाकिस्तान की आतंकपरस्त नीति रोड़ा, 2016 के बाद नहीं हुई है बैठक

 नई दिल्ली 
कश्मीर में अस्थिरता फैलाने और आतंक परोसने की पाकिस्तान की नीति के चलते निकट भविष्य में सार्क की कोई बैठक होने की संभावना नहीं है। पाकिस्तान की आतंकपरस्त नीति के खिलाफ मोर्चेबंदी में भारत दक्षिण एशिया के अन्य देशों का साथ लेने का प्रयास कर रहा है।

भारत ने  बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, मालदीव, भूटान, अफगानिस्तान आदि देशों को भरोसे में लेने के लिए बैकडोर बातचीत की है। पाकिस्तान की घेरेबंदी की पूरी रणनीति प्रधानमंत्री कार्यालय, एनएसए और विदेश मंत्रालय में उच्च स्तर पर बन रही है। सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान जिस तरह से भारत के खिलाफ भड़काऊ बयानबाजी कर रहा है उसे देखते हुए जल्द सार्क की बैठक की संभावना नहीं है। भारत अन्य देशों के साथ विभिन्न मुद्दों पर सहयोग बढ़ा रहा है।

पाकिस्तान की आतंकपरस्त नीति पर भारत कोई नरमी बरतने को तैयार नहीं है। भारत ने सभी सहयोगी देशों को ये स्पष्ट कर दिया है। सूत्रों ने कहा कि यूएन बैठक के दौरान सार्क विदेश मंत्रियों की साइड लाइन मुलाकात में पाकिस्तान ने जिस तरह से ड्रामा किया था उससे ही साफ हो गया था कि वह दक्षिण एशिया में सहयोग को लेकर बहुत उत्सुक नहीं है।

भारत ने वहीं साफ कर दिया था कि सार्क को तय करना है कि यहां आतंक को जगह मिलेगी या सहयोग को। सूत्रों ने कहा कि भारत अन्य फोरम के जरिये सार्क देशों के संपर्क में है। बिम्सटेक के जरिये भी अन्य देशों के साथ क्षेत्रीय सहयोग को विस्तार दिया गया है। पाकिस्तान पर ज्यादातर पड़ोसी देशों की ओर से दबाव है कि वह भारत में आतंकी गतिविधियों पर लगाम लगाए। इसके बिना क्षेत्रीय सहयोग की संभावना नहीं होगी।

2016 में सम्मेलन रद्द होने के बाद से बैठक नहीं हो पाई
2016 में पाकिस्तान में प्रस्तावित सार्क सम्मेलन रद्द होने के बाद से सार्क की बैठक नहीं हो पाई है। यूएन में पाकिस्तान ने कहा था कि वह इस बार इस्लामाबाद में सार्क सम्मेलन आयोजित करेगा। सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तान आतंक पर चौतरफा घिरा है। एफएटीएफ में आतंकी फंडिंग पर वह जवाब नहीं दे पा रहा है। आतंक को लेकर पाकिस्तान द्वारा ठोस कार्रवाई को लेकर दबाव बना रहेगा।

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