भोपाल
एक तरफ सरकार राइट टू हेल्थ के माध्यम से सबको स्वास्थ्य की गारंटी देने जा रही है वहीं सरकारी अस्पतालों में मुफ्त इलाज की सुविधा बंद होने जा रही है। इससे गरीब वर्ग के मरीजों पर आर्थिक बोझ बढेगा। चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधीन अस्पतालों में सीटी स्कैन और एमआरआई जैसी जांचों के लिए नॉन आयुष्मान पेशेंट से शुल्क लेना शुरू कर दिया गया है।
हमीदिया अस्पताल में चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा जारी आदेश के बाद निशुल्क जांचें बंद कर दीं गर्इं हैं। ऐसे में सडक दुर्घटनाओं में घायल मरीजों को सीटी स्कैन और एमआरआई सहित जरूरी जांचें कराने में परेशानी आ रही है। हमीदिया में अक्सर होने वाले विवादों के पीछे की बडी वजह इलाज में देरी और इलाज में लगने वाले सामान के देर से मिलने के कारण विवाद होते हैं। इस व्यवस्था के कारण अब और ज्यादा विवाद बढ़ेंगे।
सरकार द्वारा प्रस्तावित नई व्यवस्था के अनुसार आयुष्मान योजना का लाभ सिर्फ अस्पताल में भर्ती होने पर ही मिलेगा। ऐसे में अस्पताल की ओपीडी में आने वाले आयुष्मान कार्ड धारक मरीजों की भी मुफ्त जांचें नहीं हो पायेंगी।
मौजूदा समय में हमीदिया अस्पताल में एक्स रे, सोनोग्राफी या सीजेरियन डिलेवरी जैसी सुविधा के लिए कोई शुल्क नहीं देना पड़ता है, लेकिन अब सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में एएनसी जांच के लिए आने वाली गर्भवती महिलाओं को सोनोग्राफी सहित अन्य जांचों के लिए पैसे चुकाने पडेंगे।
सरकारी अस्पतालों में फंड की कमी के चलते कई व्यवस्थायें प्रभावित हो रहीं हैं। ऐसे में चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने मेडिकल कॉलेजों के डीन और अधीक्षकों को साफ तौर पर कहा है कि अस्पतालों को अपना फंड खुद जनरेट करना होगा। अस्पतालों में मरीजों की सिर्फ दो श्रेणियां होंगी आयुष्मान और नॉन आयुष्मान।