मुंबई
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के बोर्ड ने नकदी संकट से जूझ रहे यस बैंक में निवेश के लिए इन-प्रिंसिपल अप्रूवल यानी सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। बैंक के केंद्रीय बोर्ड ने गुरुवार को एक बैठक के बाद देर शाम शेयर बाजारों को इस बारे में अवगत कराया। यह घोषणा तब की गई जब इससे कुछ घंटे पहले भारतीय रिजर्व बैंक ने यस बैंक पर पाबंदियां लगा दीं और एक महीने के लिए जमाकर्ताओं के लिए निकासी की सीमा 50 हजार रुपये तय कर दी।
बोर्ड ने शेयर बाजारों से कहा, 'यस बैंक से संबंधित मामले पर गुरुवार को बैंक के केंद्रीय बोर्ड की बैठक में चर्चा की गई और बोर्ड ने बैंक में निवेश अवसर तलाशने के लिए सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दे दी है।' एसबीआई और एलआईसी दोनों से यस बैंक में सामूहिक रूप से 49 प्रतिशत शेयर हासिल करने को कहा गया है।
आरबीआई ने कहा, हमारे पास बस यही विकल्प
उल्लेखनीय है कि आरबीआई ने गुरुवार को प्राइवेट सेक्टर के यस बैंक पर रोक लगाते हुए उसके निदेशक मंडल को भंग कर दिया। बैंक के लिए एसबीआई के पूर्व सीएफओ प्रशांत कुमार को इसका प्रशासक भी नियुक्त कर दिया। रिजर्व बैंक ने सरकार के साथ विचार विमर्श के बाद जमाकर्ताओं के हितों के संरक्षण के लिए यह कदम उठाया है। आरबीआई ने देर शाम बयान जारी कर कहा, 'केंद्रीय बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि विश्वसनीय पुनरोद्धार योजना के अभाव, सार्वजनिक हित और बैंक के जमाकर्ताओं के हित में उसके सामने बैंकिंग नियमन कानून, 1949 की धारा 45 के तहत रोक लगाने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं है।' आरबीआई ने साथ ही यस बैंक के जमाकर्ताओं को यह आश्वासन भी दिया कि उनके हितों की पूरी तरह रक्षा की जाएगी और उन्हें घबराने की कोई जरूरत नहीं है।
यस बैंक को नहीं मिले निवेशक, तब आगे आई RBI
बयान में कहा गया है कि बैंक के प्रबंधन ने इस बात का संकेत दिया था कि वह विभिन्न निवेशकों से बात कर रहा है और इसमें सफलता मिलने की उम्मीद है। बैंक कई निजी इक्विटी कंपनियों के साथ भी पूंजी निवेश के लिए बात कर रहा था। बयान में कहा गया है कि इन निवेशकों ने रिजर्व बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ भी विचार विमर्श किया, लेकिन विभिन्न वजहों से उन्होंने बैंक में कोई पूंजी नहीं डाली।
आम आदमी के पैसे से उबरेगा प्राइवेट बैंक
इससे पहले दिन में सरकार ने एसबीआई और अन्य वित्तीय संस्थानों को यस बैंक को उबारने की अनुमति दी थी। यदि इस योजना का क्रियान्वयन होता है तो कई वर्षों में यह पहला मौका होगा जबकि निजी क्षेत्र के किसी बैंक को आम आदमी के पैसे से वित्तीय संकट से उबारा गया। इससे पहले 2004 में ग्लोबल ट्रस्ट बैंक का ओरियंटल बैंक आफ कॉमर्स में विलय किया गया था। 2006 में आईडीबीआई बैंक ने यूनाइटेड वेस्टर्न बैंक का अधिग्रहण किया था। इससे करीब छह महीने पहले रिजर्व बैंक ने बड़ा घोटाला सामने आने के बाद शहर के सहकारी बैंक पीएमसी बैंक के मामले में भी इसी तरह का कदम उठाया गया था।