मुंबई
महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए तमाम तिकड़म भिड़ा रहे बीजेपी के खेमे से एक बड़ी खबर आई है. सूत्रों के मुताबिक बीजेपी महाराष्ट्र में अपनी सरकार बनाने के लिए वित्त और राजस्व मंत्रालय कुर्बान करने को तैयार हो गई है. हालांकि इस पर अंतिम फैसला सोमवार को दिल्ली में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और सीएम देवेंद्र फडणवीस के बीच होने वाली मुलाकात में ही लिया जाएगा.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और बीजेपी विधायक दल के नेता देवेंद्र फडणवीस आज दिल्ली आ सकते हैं. दिल्ली में फडणवीस गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करेंगे और माना जा रहा है कि वे इस दौरान महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर पैदा हुए गतिरोध की जानकारी पार्टी प्रमुख को देंगे. इन दोनों नेताओं के बीच मुलाकात में ही शिवसेना के साथ सरकार का खांका तय होगा.
चार विकल्पों पर चर्चा
इधर महाराष्ट्र के सियासी गलियारों से खबर आ रही है कि शिवसेना के जिद के आगे बीजेपी झुक रही है . बीजेपी अब कैबिनेट के मलाईदार विभागों को शिवसेना को देने पर सहमत नजर आती दिख रही है. इसके एवज में फडणवीस एक बार फिर से सीएम पद की शपथ लेंगे. सूत्रों के मुताबिक बीजेपी ने शिवसेना के साथ सरकार बनाने के लिए तीन से चार विकल्पों पर माथापच्ची की है. पहले विकल्प के मुताबिक बीजेपी शिवसेना को राजस्व और वित्त या फिर राजस्व और लोक निर्माण विभाग का मंत्रालय दे सकती है.
दूसरा विकल्प ये है कि बीजेपी उद्धव ठाकरे की पार्टी को लोक निर्माण विभाग दे दे, इसके अलावा शिवसेना को कृषि या ग्रामीण विकास या जल संसाधन मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंप दें.
बीजेपी के सामने तीसरा विकल्प ये है कि सरकार चलाने के लिए शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे की अध्यक्षता में एक कॉर्डिनेशन कमेटी का गठन हो इसके बाद मंत्रालयों के बंटवारे का फैसला किया जाए. चौथा ऑफर ये मुमकिन है कि सभी अहम कॉर्पोरेशन में बीजेपी और शिवसेना को 50-50 फीसदी की हिस्सेदारी दी जाए.
बीजेपी की मजबूरी
दरअसल महाराष्ट्र में समीकरण कुछ इस तरह बने हैं कि बीजेपी शिवसेना को ज्यादा मंत्रालय दे पाने में सक्षम नहीं है, अगर बीजेपी ऐसा करती है तो उसके अपने ही खेमें बगावत हो सकती है. बीजेपी को पकंजा मुंडे को मंत्रालय में जगह देनी है, पकंजा चुनाव हार गईं हैं, लेकिन वे मजबूत ओबीसी नेता के तौर पर जानी जाती हैं. इसके बाद नंबर आता है चंद्रशेखर बावनकुले का. विधानसभा चुनाव के दौरान बावनकुले को पार्टी का टिकट नहीं मिल पाया था, लेकिन ओबीसी में उनके राजनीतिक प्रभाव को देखते हुए उन्हें मंत्री बनाना जरूरी है.
स्पष्ट है कि बीजेपी के पास मंत्रालय को लेकर ज्यादा विकल्प नहीं बचता है. इसलिए राज्य में सरकार गठन पर ब्रेक लग गया है. इधर इस बार शिवसेना बीजेपी के साथ सख्त मोल भाव कर रही है. हालांकि सरकार बनाने में अमित शाह की भूमिका शुरू होने के बाद बीजेपी और शिवसेना दोनों ही खेमों में एक सकारात्मक उम्मीद बंधी है.