भोपाल
शिक्षकों के अनिवार्य सेवानिवृत्ति का शिक्षक संगठन लगातार विरोध कर रहे है। इस पर स्कूल शिक्षा मंत्री प्रभुराम चौधरी का कहना है कि शिक्षक संगठनों का विरोध पूरी तरह से गलत है। शिक्षकों पर कार्रवाई नियम के तहत की गई है। खऱाब रिजल्ट वाले स्कूलों को चिन्हित कर शिक्षकों की परीक्षा ली गई थी। जिसके बाद ही शिक्षकों पर कार्रवाई की गई है। अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई है तो शिक्षकों को विभाग की तरफ से पेंशन भी दी जा रही है। जहां तक शिक्षकों का सवाल है तो जो शिक्षक शैक्षणिक कार्य में सक्षम नहीं है उन पर 20-50 का फॉर्मूला लागू किया जा रहा है।
गौरतलब है कि किताब रखकर भी दो बार दक्षता परीक्षा पास नहीं कर पाए 84 शिक्षकों पर स्कूल शिक्षा विभाग ने कार्रवाई की है। इनमें से भोपाल से एक समेत 16 शिक्षकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई। बाकी पर अन्य तरह की कार्रवाई की गई है। शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए विभाग की यह पहली कार्रवाई है। स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने बताया कि इन शिक्षकों को शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करने के तीन मौके दिए गए। 30 फीसदी से कम परिणाम देने वाले कुल 5891 शिक्षकों की जून में परीक्षा ली गई थी। इसमें 1351 शिक्षक फेल हुए थे।
इन्हें प्रशिक्षण देकर 14 अक्टूबर को दोबारा किताब रखकर परीक्षा दिलवाई गई थी। इसके बाद भी फेल और अनुपस्थित रहने वाले कुल 84 शिक्षकों को शार्ट लिस्ट कर कार्रवाई की गई। उन्होंने कहा कि अब आने वाले समय में 30 फीसदी से कम रिजल्ट देने वाले शिक्षकों की परीक्षा ली जाएगी और उन पर कार्रवाई भी होगी। हालांकि कार्रवाई के खिलाफ शिक्षक मुख्य सचिव के सामने अपील कर सकते हैं। उन पर निर्णय राजपत्रित अधिकारियों की कमेटी लेगी। वह कोर्ट का भी दरवाजा खटखटा सकते हैं।