भोपाल। भोपाल स्टेशन पर रैंप ढहने की घटना को रोका जा सकता था। यह दावा प्लेटफार्म नंबर दो पर रैंप के नीचे स्टॉल चलाने वाले वेंडर रमेश सिंह का है। वेंडर ने बताया कि रैंप ढहने के 20 घंटे पहले बुधवार दोपहर 1.40 बजे रैंप से सीमेंट-कांक्रीट का मलबा गिरा था। इसकी सूचना दोपहर दो बजे डिप्टी एसएस कमर्शियल (नाम नहीं पता, जो ड्यूटी पर थे उन्हें दी थी) को दी थी। डिप्टी एसएस कमर्शियल ने कहा था कि शताब्दी एक्सप्रेस को निकल जाने दो, फिर चलकर देखेंगे। बाद में ध्यान नहीं दिया और रैंप का हिस्सा ढह गया।
जब वेंडर का दावा सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो रेलवे के प्रवक्ता आईए सिद्दीकी ने पूर्व से सूचना देने के दावे को लिखित में खारिज कर दिया। डीआरएम उदय बोरवणकर ने कहा कि किसी ने पूर्व में सूचना दी थी तो जांच में संबंधित के बयान शामिल किए जाएंगे। बुधवार दोपहर को ड्यूटी पर तैनात डिप्टी एसएस कमर्शियल अनिल दीक्षित ने भी वेंडर के दावे को खारिज किया है।
दरअसल, रेलवे के अधिकारी पूर्व से सूचना होने की बात को भले ही खारिज कर दें, लेकिन रैंप के हिस्से का ढहना गंभीर मामला है। वह भी ऐसे समय में जब रेलवे के प्रवक्ता ने खुद बताया कि ब्रिज का हर साल मेंटेनेंस करते हैं, मार्च-अप्रैल में ऑडिट भी कराते हैं। साल 2019 में कराया था। रिपोर्ट में कमियां मिलती तो उसे दुरुस्त करते हैं। गनीमत रही कि इस लापरवाही से किसी की जान नहीं गई। इस मामले ने जीआरपी ने अज्ञात के खिलाफ उपेक्षापूर्ण कार्य की धारा के तहत प्रकरण दायर कर लिया है।
इधर, हादसे के बाद खुलकर बोलने वाला वेंडर रमेश सिंह शाम होते-होते गायब हो गया। सूत्रों की माने तो उस पर हादसे को लेकर दिए गए बयान के बाद चारों तरफ से दबाव आ रहा था, इसलिए उसने कॉल रिसीव करने भी बंद कर दिए।