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विश्व खाद्य दिवस: भूख से जंग लड़ रहे हैं ये फूड बैंक, भर रहे हैं गरीबों का पेट

 बरेली                                                                                         
तमाम योजनाओं के बाद भी भूख और कुपोषण की समस्या से निजात नहीं मिल रही है। इसके लिए तमाम सामाजिक संगठन भी लड़ाई लड़ रहे हैं। बरेली की बात की जाए तो यहां कई लोगों ने सामूहिक रूप से भूख के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया है। यह लोग संस्थाएं बनाकर न्यूनतम दरों पर लोगों को सम्मानजनक तरह से भोजन करवा रहे हैं। विश्व खाद्य दिवस पर पेश है बरेली से आशीष दीक्षित की एक खास रिपोर्ट।

'सीता रसोई' खिला रही गरीबों को भोजन
रामपुर गार्डन में पंकज अग्रवाल, प्रभात किशोर अग्रवाल और रमेश चंद्र अग्रवाल ने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर 6 दिसम्बर 2018 को सीता रसोई की शुरुआत की। सीता रसोई में रोजाना लगभग 350 लोगों को भोजन खिलाया जाता है। इनसे टोकन के रूप में 10 रुपये भी लिए जाते हैं। तमाम लोग बिना पैसे के भी भोजन कर जाते हैं। सचिव रमेश चंद्र अग्रवाल कहते हैं कि हमारा उद्देश्य सिर्फ यह है कि कोई भी व्यक्ति भूखा ना रहे। मुफ्त का खाना खिलाना कई बार अपमानजनक भी होता है। इसलिए यह टोकन मनी ली जाती है। गरीब और विकलांग लोगों से हम कोई पैसा नहीं लेते हैं। लोगों के सहयोग के जरिए यह सेवा कार्य चल रहा है। लोग अपने जन्मदिन, मैरिज एनिवर्सरी आदि पर भोजन के लिए पैसे दे जाते हैं।

'लंगर ऑन द व्हील' भी लड़ रही भूख से 
पंजाबी महासभा का लंगर ऑन द व्हील भी यही कार्य कर रहा है। संस्था के अध्यक्ष संजय आनंद बताते हैं कि डेढ़ वर्ष पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी। आज लगभग ढाई सौ लोग एक बार में लंगर ऑन द व्हील से भोजन ग्रहण करते हैं। आवश्यकतानुसार फूड वैन को हम लोग शहर के अलग-अलग हिस्सों में भी ले जाते हैं। 

शहर में घूम-घूमकर भोजन कराता है 'रोटी बैंक'
आईएमए के पूर्व अध्यक्ष डॉ. प्रमेंद्र माहेश्वरी ने अपने युवा साथियों के साथ मिलकर रोटी बैंक की शुरुआत की थी। रोटी बैंक ने पूरे शहर में घूम-घूम कर लोगों के लिए भोजन उपलब्ध कराया। कई बार उन्होंने गरीब बच्चों के लिए पिज्जा, केक, पेस्ट्री आदि का भी वितरण किया। आज भी यह संस्था दिन रात भूख मिटाने में जुटी हुई है।

'सबकी रसोई' कर रहा भोजन से सेवा 
खुशलोक अस्पताल के ठीक सामने सब की रसोई नर सेवा नारायण सेवा को मूल मंत्र मानते हुए 22 जुलाई 2018 को शुरू की गई थी। रोजाना एक बजे से लाइन लगाकर भोजन वितरण शुरू होता है। समय-समय पर आइसक्रीम, रस मलाई, रबड़ी भी खाने के साथ दी जाती है। टोकन मनी के रूप में 10 रुपये लिए जाते हैं मगर बच्चों से कोई पैसा नहीं लिया जाता है। सब की रसोई से प्रेरणा लेकर कई और शहरों में भी लोगों ने यह काम किया है।

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