भोपाल
विधान परिषद के गठन की कवायद में जुटी राज्य सरकार आज इस प्रक्रिया को पूरा करने में आने वाले खर्च की समीक्षा करने के साथ अन्य सुविधाओं और व्यवस्थाओं पर चर्चा करेगी। इसको लेकर मुख्य सचिव एसआर मोहंती की अध्यक्षता में हुई बैठक में संबंधित विभागों के अफसरों की ओर से इसको लेकर की गई तैयारियों की जानकारी दी गई। इस बीच यह तय हो गया है कि विधान परिषद सभापति और उप सभापति का वेतन भत्ता विधानसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के वेतन भत्ते के लगभग बराबर ही होगा।
सीएम मोहंती द्वारा बुलाई गई बैठक में खासतौर पर विधानसभा से अधिकाधिक जानकारी चाही गई है। इसके लिए विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह के अलावा सामान्य प्रशासन, लोक निर्माण, वित्त, संसदीय कार्य, ऊर्जा समेत अन्य विभागों के अधिकारी सीएस की बैठक में मौजूद रहेंगे। विधानसभा से संभावित खर्चों के बारे में जानकारी चाही गई है। बताया गया कि विधानसभा में 76 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था पहले से है। इसलिए संभावित सदस्यों 75-80 के लिए बैठक व्यवस्था को लेकर अलग से काम नहीं करना होगा।
परिषद के गठन के बाद स्टाफ की शुरुआती व्यवस्था विधानसभा सचिवालय से होगी। बाद में इसके लिए पृथक से भर्ती भी की जाएगी। परिषद में शामिल होने वाले सदस्यों में विधायक दल के सदस्यों के अलावा महाविद्यालय व विद्यालयों के शिक्षक, नगरीय निकायों के पदाधिकारी, स्नातक युवा तथा गवर्नर द्वारा नामांकित किए जाने वाले सदस्य होंगे।
परिषद के प्रारूप को लेकर होेने वाली उच्च स्तरीय बैठक में 70 एमएलसी सदस्य तथा 11 मंत्री बनाए जाने के प्रस्ताव पर सहमति बनने की स्थिति के आधार पर खर्च का आकलन किया जाएगा। शुरुआती दौर में इस पर साढ़े 26 करोड़ का खर्च प्रस्तावित है पर वास्तविक स्थिति आज होने वाली बैठक के बाद सामने आएगी।
इस कवायद के बीच विधि एवं विधायी कार्य मंत्री पीसी शर्मा ने कहा है कि कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में यह वायदा किया था कि सरकार बनने पर विधानपरिषद का गठन किया जाएगा। इसीलिए इसको लेकर विभाग के अफसरों की उच्च स्तरीय बैठक मुख्य सचिव द्वारा बुलाई गई है।