नई दिल्ली
हवा साफ करने के लिए पिछले साल वायु (WAYU) 5 जगहों पर लगाया गया था। अब आने वाले समय में दिल्ली की आबोहवा को साफ करने के लिए चीन की तरह पर बड़े एयर प्यूरीफायर टावर लगाए जा सकते हैं। प्रॉजेक्ट की रिपोर्ट तैयार करने का काम शुरू हो गया है। स्टडी की जा रही है कि यह प्यूरीफायर टावर कितने सफल हो पाएंगे।
इससे पहले 5 चौराहों पर पायलट प्रॉजेक्ट के तहत वायु फिल्टर लगाए गए थे। इसका ट्रायल नीरी ने किया था, लेकिन प्रॉजेक्ट के नतीजे कुछ खास नहीं रहे और सीपीसीबी ने अपनी रिपोर्ट में इन्हें सफल नहीं माना। ऐसे में अब बड़े प्यूरीफायर पर काम शुरू हुआ है।
एक्सपर्ट के अनुसार इस तरह के प्यूरीफायर पर खर्च काफी अधिक है। साथ ही समझना जरूरी है कि चीन में जब प्यूरीफायर लगे तो पीएम 2.5 और पीएम 10 भले ही कम हुआ, लेकिन ओजोन की समस्या बढ़ रही है। साथ ही चीन में कोयले की इंडस्ट्री चल रही थी, लेकिन दिल्ली में यह काफी पहले बंद हो चुकी हैं।
ईपीसीए के चेयरमैन भूरे लाल के अनुसार दिल्ली में सड़कों पर धूल कम करने और गाड़ियों के प्रदूषण के अलावा औद्योगिक कचरे को कम करने की जरूरत है। सिर्फ दिल्ली ही नहीं, बल्कि एनसीआर के शहरों पर काम करना भी उतना ही जरूरी है। सीपीसीबी के अनुसार बड़े प्यूरीफायर टावर लगाए जाने का प्रस्ताव अभी विचाराधीन हैं।
चीन में कैसे एयर प्यूरीफायर?
दिसंबर 2018 में नॉर्थ चीन में दुनिया का सबसे बड़ा एयर प्यूरीफायर लगाया गया। यह प्यूरीफायर 100 मीटर ऊंचा है। इस टावर के चारों तरफ ग्रीनहाउस सिस्टम है। यह टावर प्रदूषित हवा को खींचता है और उसे सोलर पावर से गर्म करता है। यह गर्म हवा ऊपर टावर की तरफ बढ़ती है और मल्टिपल क्लीनिंग फिल्टर से पास होकर साफ हो जाती है। टावर अपने आसपास 10 किलोमीटर के एरिया की हवा को साफ करता है।