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लोन की भी दे रहे सुविधा, बनारस में आधार कार्ड गिरवी रखकर बेच रहे प्याज

वाराणसी 
देशभर में प्याज की कीमतों की मार मध्यम वर्ग पर पड़ रही हैं. प्याज के दाम आसमान छू रहे हैं. इसी बीच वाराणसी में समाजवादी पार्टी के यूथ विंग की स्वामित्व वाली कुछ दुकानों पर प्याज लोन पर मिल रही है. लोन पर प्याज देने के लिए दुकानदार आधार कार्ड गिरवी रख रहे हैं.

देशभर में प्याज के दामों में बढ़ोतरी के बाद वाराणसी में कुछ दुकानदारों ने यह तय किया है. समाजवादी पार्टी के एक कार्यकर्ता का कहना है कि यह प्याज की बढ़ती कीमतों के खिलाफ हमारा विरोध प्रदर्शन है. हम लोगों का आधार कार्ड गिरवी या चांदी के गहने गिरवी रख रहे हैं, जिसके बाद प्याज बेच रहे हैं. कुछ जगहों पर प्याज को लॉकर में रखा जा रहा है.

प्याज की महंगाई थमने का नाम नहीं ले रही है. देश की राजधानी दिल्ली में  पिछले साल के मुकाबले चार गुने ऊंचे दाम पर प्याज बिक रही है, जिससे आम उपभोक्ताओं के लिए प्याज का स्वाद लेना मुहाल हो गया है. दिल्ली की आजादपुर मंडी में पिछले साल 29 नवंबर 2018 में प्याज का थोक भाव जहां 2.50-16 रुपये प्रति किलो था, वहां शुक्रवार को 20-62.50 रुपये प्रति किलो था.

कारोबारियों ने बताया कि खपत के मुकाबले आवक कम होने के कारण प्याज के दाम में वृद्धि हो रही है. शुक्रवार को आजादपुर मंडी में प्याज की आवक 1,045.6 टन थी, जबकि दिल्ली में प्याज की रोजाना खपत तकरीबन 2,000 टन है.
 
सरकार ने प्याज की महंगाई को थामने के लिए 1.2 लाख टन प्याज का आयात करने का फैसला लिया है, मगर दिल्ली के आजादपुर मंडी के कारोबारी और ओनियन मर्चेट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र शर्मा के आंकड़ों पर विश्वास करें तो देश में तकरीबन 50,000-60,000 टन रोजाना प्याज की खपत होती है. ऐसे में 1.2 लाख टन प्याज विदेशों से आने पर यह महज दो दिनों की खपत के बराबर होगी.

उन्होंने बताया दिल्ली में ही प्याज की रोजाना की खपत इस समय करीब 2,000 टन है, लेकिन इतनी आपूर्ति नहीं होने से दाम बढ़ना स्वाभाविक है. कृषि विशेषज्ञ विजय सरदाना ने बताया कि देश में प्याज के भंडारण की समुचित व्यवस्था नहीं होने से बीते सीजन का प्याज खराब हो गया, वहीं मौसम की मार से नई फसल खेतों में बर्बाद हो गई, जिस कारण प्याज का टोटा बना हुआ है.

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