मध्य प्रदेश

लम्बे समय से जमीन पर नहीं की कोई गतिविधि तो राज्य सरकार करेगी अपने नाम

भोपाल
राज्य सरकार अब उन लोगों की जमीन छीनने की तैयारी में है जो लम्बे समय से जमीन पर न तो खेती कर रहे हैं और न ही उस भूमि पर कोई औद्योगिक, व्यवसायिक या सामान्य गतिविधि संचालित कर रहे हैं। ऐसे भूमि स्वामियों की जमीन को सरकारी घोषित कर दिया जाएगा और बाद में उस भूमि को किसी प्रोजेक्ट या अन्य कार्यों के लिए आवंटित किया जाएगा। राज्य शासन के आदेश के बाद अब कलेक्टर तहसीलदारों से ऐसी जमीन की जानकारी मंगाकर उसे सरकारी घोषित कराने की कवायद शुरू कर रहे हैं।  

उद्योगों और अन्य शासकीय प्रयोजन के लिए जमीन की आवश्यकता के मद्देनजर राज्य शासन ने यह फैसला लिया है। इसके लिए शासन ने भू राजस्व संहिता में संशोधन भी कर दिया है। इसमें धारा 175 के पश्चात धारा अंत: स्थापित करते हुए कहा गया है कि यदि कोई भूमि स्वामी अपनी स्वयं की जमीन पर खुद खेती नहीं करता या किसी से खेती नहीं कराता है और भू राजस्व का भुगतान नहीं करता है तो तहसीलदार ऐसी भूमि के स्वामी के मामले में जांच करेगा। अगर भूमि स्वामी उस ग्राम में निवास करता नहीं पाया जाता है तो तहसीलदार उस भूमि को कब्जे में ले सकेगा और एक साल के लिए किसी को भी पट्टे पर खेती के लिए दे सकेगा।

इस नए नियम में यह भी कहा गया है कि अगर कब्जे में लेने के उपरांत कोई व्यक्ति पांच साल की अवधि में उस भूमि के लिए दावा करता है तो जांच पड़ताल के बाद मालिकाना हक साबित होने पर जमीन लौटा दी जाएगी लेकिन अगर कोई दावा नहीं करता है  तो तहसीलदार के प्रतिवेदन के उपरांत एसडीओ राजस्व उस भूमि को सरकार घोषित कर सकेगा और जिस भूमि स्वामी का नाम रिकार्ड में दर्ज है वह परित्यक्त घोषित कर दिया जाएगा। जमीन सरकारी घोषित होने के बाद शासन द्वारा उससे वसूली के लिए तय की जाने वाली भू राजस्व कर की राशि का खाता बंद कर दिया जाएगा।

सरकार के इस फैसले के बाद अफसरों, उद्योगपतियों, भू माफिया तथा राजनेताओं समेत अन्य कारोबारियों को इन्वेस्ट के रूप में जमीन खरीदकर उसे खाली छोड़ना महंगा पडेÞगा। प्रदेश में ऐसी स्थिति में लाखों लोगों की जमीन पड़ी है। इस आदेश के बाद जमीन के रखरखाव और खेती के  काम के लिए भूमिस्वामी को एक्टिव होना पड़ेगा।

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