ग्वालियर
रेत ठेकेदारों की सरकारी दफ्तर में आवभगत करने वाले नायाब तहसीलदार ने बुके और मिठाई का डिब्बा लेने के बाद कलेक्टर की फटकार सुनी। अनुशासनहीनता की कार्रवाई से बचने के लिए तहसीलदार ने एफआईआर तो कराई, लेकिन ठेकेदार को साफ बचाते हुए अज्ञात पर मामला दर्ज कराया। जबकि वीडियो सीएम कमलनाथ तक को भी पहुंचाया गया है।
रेत के सरकारी ठेके को 30.50 करोड़ में लेने वाला मुरैना का तेल कारोबारी मनोज अग्रवाल बीते रोज कलेक्टर के आदेश को ताक पर रखकर डबरा के तहसील कार्यालय में 150-200 हथियारबंदों के साथ पहुंचा। शर्मनाक बात यह रही कि कलेक्टर के आदेश की अवहेलना का मंजर नायाब तहसीलदार श्यामू श्रीवास्तव की मौजूदगी में चलता रहा।
ठेकेदार के साथ कांग्रेस और भाजपा के नेता भी मौजूद रहे। ऐसे में उनसे सरकारी दफ्तर में मुलाकात कर उनसे बुके लिया और साथ में मिठाई का डिब्बा भी लिया। उनके साथ आई हथियारबंदों की फौज और उनकी आवाभगत का वीडियो वायरल होने के बाद कलेक्टर अनुराग चौधरी काफी नाराज हुए। उन्होंने तत्काल प्रभाव से नायाब तहसीलदार श्यामू श्रीवास्तव को कलेक्ट्रेट आॅफिस अटैच कर दिया। इसके साथ ही तहसीलदार नवनीत शर्मा को निर्देश देकर धारा 188 के तहत एफआईआर के आदेश दिए।
हैरानी की बात यह रही कि इस मामले में नायाब तहसीलदार और तहसीलदार ने सीधे सीधे रेत ठेकेदार और उसके साथ आए दलालों को साफ-साफ बचा लिया। डबरा थाने में अज्ञात लोगों के खिलाफ कार्रवाई का आवेदन देकर औपचारिकता पूरी कर ली।
धारा 144 में बंदूकों से लैस होकर सरकारी दफ्तर में दहशत फैलाने वालों पर कलेक्टर अनुराग चौधरी कार्रवाई के मूड़ में हैं। बताया गया कि उन्होंने तीन वीडियो मुरैना कलेक्टर को भेजकर हथियारबंदों को चिन्हित कर उनके शस्त्र लाइसेंस निरस्त करने की कार्रवाई करने के लिए कहा है।
डबरा में रेत का ठेका लेने पहुंचे लोगों का वीडियो वायरल होने के बाद ये सीएम कमलनाथ, पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और रेत उत्खनन पर लगाम कसने वाले कंप्यूटर बाबा पर भी पहुंचा है। इस प्रकरण में शिकायत हुई है कि रेत ठेके में भाजपा, कांग्रेस के नेताओं के अलावा कुछ दलाल भी शामिल हैं। इसे लेकर स्थानीय विधायक भी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं।