नई दिल्ली
नागरिकता संशोधन बिल को लेकर असम और पूर्वोत्तर के कई राज्यों में प्रदर्शन जारी है। इस बीच बीजेपी महासचिव राम माधव ने बिल का बचाव करते हुए कहा कि पड़ोसी देशों के पीड़ित शरणार्थियों के लिए यह जरूरी है। बीजेपी महासचिव ने कहा, 'पड़ोसी देशों में शरणार्थी की तरह रहनेवाले ये लोग वहां पीड़ित थे। धार्मिक आधार पर उनके साथ भेदभाव किया जाता था। भारत की यह नैतिक जिम्मेदारी है कि उन्हें नागरिकता दी जाए।'
राम माधव ने विपक्षी दलों पर किया पलटवार
नागरिकता संशोधन विधेयक के तहत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आनेवाले गैर-मुस्लिम लोग जो भारत में रह रहे हैं, उन्हें अवैध प्रवासी के स्थान पर भारतीय नागरिक का दर्जा दिया जाएगा। विपक्षी दलों द्वारा नागरिकता बिल का विरोध करने पर राम माधव ने पलटवार किया। उन्होंने कहा, 'इमिग्रेंट्स ऐक्ट 1950 (असम से निर्वासन) में कांग्रेस शासित सरकार में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने लागू किया था।'
नेहरू के दौर के कानून की दिलाई याद
राम माधव ने इमिग्रेंट्स ऐक्ट का हवाला देते हुए कहा, 'नागरिकता बिल का विरोध करनेवाले आलोचकों को मैं याद दिलाना चाहता हूं कि पंडित नेहरू ने भी 1950 में ऐसा ही कानून बनाया था। कानून में खास तौर पर पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) के अल्पसंख्यकों का बचाव का प्रावधान था। इस कानून के तहत पूर्वी पाकिस्तान से आनेवाले अल्पसंख्यकों को इस बिल के तहत सुरक्षा दी गई थी और यह तय किया गया था कि उनके ऊपर यह कानून लागू नहीं होगा।'
भारत के दरवाजे पीड़ितों के लिए खुले हैं
बीजेपी महासचिव ने कहा कि भारत ने हमेशा दूसरे देशों के प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को शरण दी है। माधव ने कहा, 'पड़ोसी देशों के प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता संशोधन विधेयक के तहत भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है। ये प्रवासी लोग देश को धर्म के आधार पर बांटने की ऐतिहासिक गलती का खामियाजा भुगत रहे हैं। भारत की यह नैतिक जिम्मेदारी है कि इन अल्पसंख्यकों को नागरिकता दी जाए।'