भोपाल
रेत के अवैध खनन, भंडारण और परिवहन के चलते विवादों में घिरी राज्य सरकार ने अंतत: नई रेत नीति जारी कर दी है। इसके साथ ही प्रदेश में रेत भंडारण के सभी लाइसेंस निरस्त कर दिए गए हैं। रेत के ठेके समूह में दिए जाएंगे जिसका फायदा यह होगा कि छिटपुट लोग रेत की चोरी नहीं कर सकेंगे, वहीं यह नुकसान होना तय है कि समूह में ठेका लेने वाले पावरफुल होकर रेत के दामों पर मनमानी वृद्धि कर सकेंगे जिसका सीधा असर जनता पर पड़ेगा।
राज्य शासन ने मध्यप्रदेश रेत खनन, भंडारण, परिवहन और व्यापार नियम 2019 जारी कर दिए हैं। इसके लिए नोटिफिकेशन होने के साथ ही नई रेत नीति पूरे प्रदेश में लागू हो गई है। रेत में अवैध खनन, भंडारण व परिवहन के विवादों के चलते खनिज साधन विभाग द्वारा नई रेत नीति के जारी करते ही अब तक जारी सभी भंडारण लाइसेंस निरस्त कर दिए गए हैं। ऐसी स्थिति में भंडारण के लिए लाइसेंस लेने वाले ठेकेदारों को भंडारित खनिज की मात्रा की जानकारी सात दिन में कलेक्टर को देना होगी। नए ठेके होने तक नया स्टाक भंडारित नहीं किया जा सकेगा।
नीति में कहा गया है कि एक लाख घन मीटर तक भंडारित रेत के व्यापार की अनुमति कलेक्टर दे सकेंगे और एक माह में उसे बेचा जा सकेगा। एक लाख घनमीटर से अधिक रेत होने पर इसकी जानकारी संचालक खनिज को दी जाएगी, जिसे 90 दिनों के भीतर बिक्री करने की अनुमति दी जा सकेगी। इसमें यह भी कहा गया है कि अगर तय समय अवधि के भीतर रेत की बिक्री नहीं की जा सकी तो कलेक्टर उसे राजसात कर सकेंगे।
नई रेत नीति में कहा गया है कि रेत के ठेके समूह में दिए जाएंगे। कलेक्टर जिला एवं तहसील स्तर पर रेत खदानों का समूह तैयार करेंगे और भौगोलिक स्थिति और राजस्व सीमा के आधार पर रेत ठेके के प्रस्ताव देंगे। सूत्रों के अनुसार आबकारी विभाग की शराब दुकानों के ठेके दिए जाने की तर्ज पर रेत खदानों का ठेका दिए जाने से छोटे ठेकेदार रेत की चोरी नहीं कर सकेंगे पर यह आशंका बनी रहेगी कि रेत का समूह में ठेका लेने वाले मनमानी दाम बढ़ा सकेंगे। इसका दुष्परिणाम यह होगा कि आम आदमी के रेत के दाम में कमी का फायदा अपेक्षा के मुताबिक नहीं मिलेगा।