भोपाल
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान कमलनाथ ने राज्य कर्मचारियों के लिए एक आयोग के गठन का वादा किया था. सरकार बनने के बाद सीएम कमलनाथ ने अपना यह वादा निभाकर दिखा दिया है. सरकार ने मध्य प्रदेश कर्मचारी आयोग का गठन कर दिया है. यह आयोग कर्मचारियों की मांगों पर सीधे फैसला लेगा. यह आयोग कर्मचारियों की वेतन विसंगतियों, सेवा शर्तों के साथ सरकार से कार्यप्रणाली में सुधार की सिफारिशें भी करेगा. कमलनाथ सरकार के इस फैसले से राज्यभर के कर्मचारियों की कई समस्याएं अब दूर हो सकेंगी.
वेतन-पेंशन की समस्याएं सुलझेंगी
कर्मचारी आयोग सिर्फ सातवें वेतनमान की विसंगतियों के निराकरण तक सीमित नहीं रहेगा. बल्कि इसके दायरे में राज्य की सिविल सेवाओं को प्राप्त हो रहे क्रमोन्न्त, समयमान वेतनमान से जुड़े नियम, निर्देशों का अध्ययन करके सुझाव देना भी रहेगा. इसके अलावा राज्य सरकार की सेवा से रिटायर होने वाले पेंशनर्स को दी जा रही सुविधाओं के साथ उनकी समस्याओं को दूर करने का काम भी आयोग के जिम्मे होगा. वहीं, संस्थाओं को आधुनिक तथा व्यवसायिक संस्थाओं के रूप में परिवर्तन के उपाय भी आयोग निकालेगा.
इनकी कर सकेगा सिफारिश
शासकीय सेवक, स्थानीय निकायों के कर्मचारी, विधिक संस्थाओं के कर्मचारी, शासन के सौ फीसदी अनुदान से पोषित संस्थाओं के कर्मचारी, कार्यभारित और आकस्मिकता निधि से वेतन पाने वाले कर्मचारी, संविदा सेवाओं, स्थायी सेवाओं के कर्मी, पूर्णकालिक, अंशकालिक मानदेय प्राप्त कर्मचारी और सभी पेंशनर्स की सिफारिश कर सकेगा.
इन्हें बनाया सदस्य
कमलनाथ सरकार ने कर्मचारी आयोग के सदस्य चुने जाने की घोषणा कर दी है. आयोग में रिटायर्ड आईएएस अजय नाथ अध्यक्ष, योगेश सोनगरिया (रिटायर्ड जज), अखिलेश अग्रवाल (रिटायर्ड इंजीनियर इन चीफ) सदस्य हैं. कर्मचारियों के प्रतिनिधि के तौर पर वीरेंद्र खोंगल को सदस्य बनाया गया है. जीएडी, वित्त विभाग के नॉमिनेटेड अफसर भी इसके सदस्य होंगे. रिटायर्ड आईएएस मिलिंद वाइकर को आयोग का सचिव बनाया गया है.