पटना
राज्यसभा उम्मीदवार के तौर पर विवेक ठाकुर का नाम सार्वजनिक होते ही बिहार भाजपा में चल रहे तमाम अटकलों पर विराम लग गया। भाजपा के दो सांसदों आरके सिन्हा व डॉ. सीपी ठाकुर का कार्यकाल अप्रैल में समाप्त हो रहा है। लेकिन, विधानसभा में संख्या बल के लिहाज से एक सीट ही भाजपा के कोटे में आनी थी। इस बार पार्टी ने जो उम्मीदवार तय किया है, उसमें आरके सिन्हा चूक गए, जबकि डॉ. ठाकुर अपनी साख बचाने में कामयाब रहे।
इस सीट के लिए भाजपा के भीतर कई नामों की सुगबुगाहट चल रही थी। पर तमाम कयासों पर विराम लगाते हुए डॉ. ठाकुर के बेटे विवेक ठाकुर ने बाजी मारी। पार्टी सूत्रों के मुताबिक उम्र अधिक होने से सीपी ठाकुर को फिर रास भेजने पर असहमति थी। वहीं, आरके सिन्हा के चूकने की एक वजह लोकसभा चुनाव के समय रविशंकर प्रसाद व श्री सिन्हा के समर्थकों के बीच चली तनातनी को भी माना जा रहा है। पर सिन्हा व डा. ठाकुर के अलावा मुख्यालय प्रभारी देवेश कुमार, विधान पार्षद संजय मयूख व सच्चिदानंद राय, पूर्व सांसद जनक चमार जैसे नाम भी फिजां में तैर रहे थे।
सूत्र बताते हैं कि पार्टी ने जिन छह लोगों के नाम केंद्रीय नेतृत्व को भेजे थे, उसमें डा. ठाकुर व सिन्हा के अलावा यही चार नाम थे। बिहार इकाई ने विवेक ठाकुर का नाम प्रस्तावित नहीं किया था। पर दिल्ली में डेरा जमाए विवेक बिहार भाजपा की ओर से अनुशंसा नहीं होने के बावजूद भारी पड़े। बहरहाल विवेक को राज्यसभा के लिए उम्मीदवार बनाने के निर्णय ने एक बार फिर साफ किया कि बिहार भाजपा का नेतृत्व भले कुछ तय करे, होना वही है जो दिल्ली तय करेगा। भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व इससे पहले भी चौंकाने वाले निर्णय लेता रहा है। दूसरी ओर एनडीए में ही जदयू में राज्यसभा के नाम पर कोई जिच नहीं थी। जदयू के तीन सांसदों राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, रामनाथ ठाकुर और कहकशां परवीन का कार्यकाल समाप्त हो रहा है।
संख्या बल के हिसाब से जदयू के दो सांसदों को ही राज्यसभा में जाना तय था। राज्यसभा के उपसभापति होने के नाते हरिवंश का राज्यसभा दुबारा जाना तय था। जबकि रामनाथ व कहकशां में से किसी एक को ड्रॉप करने की चर्चा थी। सूत्रों के अनुसार जननायक कर्पूरी ठाकुर के बेटे होने नाते पार्टी ने अतिपिछड़ा से आने वाले रामनाथ ठाकुर पर दांव लगाया। वहीं कहकशां को पार्टी कोई नई जिम्मेवारी दे सकती है। संभव है विस चुनाव में वह भागलपुर के किसी सीट से मैदान में उतरें।