नई दिल्ली
उच्चतम न्यायलय की ओर से नियुक्त जस्टिस एके पटनायक जांच समिति ने देश के मुख्य न्यायाधीश पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने वाली महिला कोर्टकर्मी को शीर्ष अदालत और मुख्य न्यायाधीश को बदनाम करने की साजिश में शामिल होने के मामले में क्लीन चिट दे दी है। समिति ने कहा है कि बेंच फिक्सिंग में भी उसका हाथ नहीं है। उच्चतम न्यायालय रजिस्ट्री को पिछले दिनों सौंपी गई रिपोर्ट में जस्टिस एके पटनायक समिति ने कहा कि कोर्ट को बदनाम करने की साजिश में महिला शामिल नहीं है। इस महिला (कोर्ट सहायक) ने मुख्य न्यायाधीश पर यौन शोषण के आरोप लगा हलचल मचाई थी। महिला ने उच्चतम न्यायालय में शपथपत्र देकर कहा था कि उसके आरोपों की जांच करवाई जाए। महिला को रजिस्ट्री ने बाद में बर्खास्त कर दिया था।
इनहाउस समिति ने गोगोई को दे दी थी क्लीन चिट
उच्चतम न्यायालय ने आरोपों की इनहाउस समिति से जांच करवाई, जिसने छह मई को मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को क्लीन चिट दे दी थी। समिति के अध्यक्ष उच्चतम न्यायालय के सबसे वरिष्ठ जज जस्टिस एसए बोबडे थे, जिन्होंने लड़की को बुलाकर बयान लिए थे। समिति के सदस्यों में उच्चतम न्यायालय की जज जस्टिस इंदु मल्होत्रा व इंद्रा बनर्जी शामिल थीं। इसके बाद एक वकील उत्सव बैंस ने उच्चतम न्यायालय में रिट याचिका दायर कर उच्चतम न्यायालय को बदनाम करने की बड़ी साजिश का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा कि महिला का इस्तेमाल कर कुछ नीहित स्वार्थ देश की सर्वोच्च अदालत को बदनाम कर रहे हैं और जजों को डराकर बेंच बदलवा (र्फिंक्सग) रहे हैं।
कोर्ट रिपोर्ट पर जल्द सुनवाई करेगा
अपनी रिपोर्ट में जस्टिस पटनायक ने कहा है कि सीबीआई, खुफिया ब्यूरो और दिल्ली पुलिस की मदद से की गई गहन जांच, फोन कॉल डिटेल्स और अन्य संपर्कों से की बारीक तहकीकात से साजिश का कोई पता नहीं चला है। इस रिपोर्ट पर कोर्ट जल्द सुनवाई करेगा। गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय में जस्टिस अरुण मिश्रा की पीठ ने 25 अप्रैल को बैंस की याचिका पर शीर्ष अदालत, मुख्य न्यायाधीश और उनके दफ्तर को बदनाम/अस्थिर करने की साजिश का पता लागने के लिए सर्वोच्च अदालत के पूर्व जज जस्टिस पटनायक की अध्यक्षता में समिति गठित की थी।