मां से सीखकर हार्वर्ड ग्रैजुएट ने पूरी कर डाली पांच कैलाश पर्वतों की चढ़ाई

 
वडोदरा 

जिंदगी जीने के सलीकों की कोई फेहरिस्त नहीं होती, अलग-अलग पड़ावों को कैसे पार करना है, यह बताने वाली मां होती है। यह कहानी है एक ऐसी मां की, जो पर्वतारोही हैं। जब मां खास मुकाम हासिल कर रही हों तो भला उनकी बेटी कैसे पीछे रह सकती है। दरअसल, 23 वर्षीय गौतमी तलाती को पहाड़ों की चोटियों पर कैसे पहुंचना है, यह सीखने के लिए किसी मैन्युअल की जरूत नहीं पड़ी। उन्होंने बस अपनी मां राधिका तलाती का अनुसरण किया। राधिका तलाती एकमात्र महिला हैं, जिन्होंने पंच कैलाश को अपने मजबूत कदमों से नापा। अब उनकी बेटी ने उन्हें इस खेल में पछाड़ते हुए न सिर्फ पांचों कैलाश पर चढ़ाई की बल्कि ऐसा करने वाली वह सबसे कम उम्र की इकलौती लड़की बन गई हैं। 
आज गौतमी और उनकी मां राधिका चंबा में मणिमहेश, उत्तराखंड में आदि कैलाश, किन्नौर कैलाश और हिमाचल स्थित श्रीखंड कैलाश के साथ-साथ एक सबसे चर्चित तिब्बत में मानसरोवर को नाप चुकी हैं। गौतमी हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएट हैं। उनका पहाड़ों से प्रेम तब परवान चढ़ने लगा जब वह महज 16 वर्ष की थीं। उस दौरान उन्होंने उत्तराखंड स्थित आदि कैलाश की चढ़ाई की थी। बता दें कि आदि कैलाश 14,750 फीट की ऊंचाई पर है। मां और बेटी की जोड़ी ने तिब्बत के पश्चिम में स्थित मानसरोवर कैलाश की 19,250 फीट की चढ़ाई पूरी की। 
 
'…और पर्वतों पर चढ़ना लत में तब्दील हो गया' 
गौतमी कहती हैं कि उन्होंने अपनी जानकारी बढ़ाने के लिए पांचों चोटियों पर चढ़ाई की। वह कहती हैं, 'असल में मैंने अपनी मां का अनुसरण किया। यह एक लत में तब्दील हो गया और फिर जब भी कोई इस आध्यात्मिक यात्रा के लिए मुझे बुलाता था तो मैं चली जाती थी।' 27 जुलाई से 20 अगस्त के बीच गौतमी ने कैलाश पर्वत की चढ़ाई की, जिसे कि एशिया में बहुत पवित्र शिखर माना जाता है। गौतमी कहती हैं कि पंच कैलाशों की चढ़ाई करना एक लक्ष्य की तरह था, जो कि उन्होंने खुद के लिए तय किया था। वह बताती हैं, 'मेरी मां शिवभक्त हैं। शिव पुराण में इन पंच कैलाशों को जिक्र है, जिसके बाद मैंने अपनी जानकारी के लिए इनकी चढ़ाई की।' 

किलिमंजारों की भी चढ़ाई कर चुकी हैं गौतमी 
न सिर्फ पंच कैलाश बल्कि गौतमी ने किलिमंजारो पर्वत की भी चढ़ाई की है। यह अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी मानी जाती है। गौतमी ने इस पर्वत की चढ़ाई वर्ष 2014 में की थी तब वह महज 17 साल की थीं। वह कहती हैं, 'ऊंचाई की बात की जाए तो किलिमंजारो 5,739 मीटर की दूरी पर स्थित है। जिन 6 चोटियों पर मैंने चढ़ाई की उनमें सबसे कठिन किन्नौर और श्रीखंड कैलाश थी।' 
 

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