राजनीति

मध्य प्रदेश के बाद राजस्थान और महाराष्ट्र में भी हो सकता है ‘सियासी खेल’

नई दिल्ली

मध्य प्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार पर भले ही संकट अभी टल गया हो लेकिन पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है। इस बीच महाराष्ट्र और राजस्थान में कुछ सही नहीं चल रहा है और क्या यहां भी मध्य प्रदेश की तरह 'सियासी खेल' हो सकता है। महाराष्ट्र सरकार में मंत्री जयंत पाटिल ने दावा किया है कि बीजेपी के 14-15 विधायक महाराष्ट्र विकास अघाडी के संपर्क में हैं। वहीं राजस्थान के पूर्व परिवहन मंत्री युनूस खान ने कहा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच की दूरियों से राज्य की दिशा बिगड़ रही है।महाराष्ट्र राकांपा प्रमुख पाटिल ने भी भाजपा पर सत्ता के लिए उतावला होने का आरोप लगाया। पाटिल ने कहा है कि विपक्षी पार्टी के 14-15 विधायक हमारे संपर्क में हैं। यहां तक कि आज भी संपर्क में हैं। हमें उनके काम करने होंगे क्योंकि हमारे उनसे अच्छे सबंध हैं। हम उनकी मानसिकता समझते हैं। उन्होंने कहा कि फिर भी, यह सही नहीं है कि हम उनका शिकार करें… हमारी इच्छा गलती करने की नहीं हैं। हमारी तवज्जो इस बात पर है कि सरकार चले। गौरतलब है कि पिछले साल अक्टूबर में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन उद्धव ठाकरे नीत शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद को लेकर भाजपा से संबंध तोड़ लिये थे, जिस वजह से महाराष्ट्र में भाजपा सरकार नहीं बना सकी थी।

 

राजस्थान के पूर्व परिवहन मंत्री युनूस खान ने कहा है कि वर्तमान सरकार के 14 महीने की कार्यशैली से जनता में निराशा है। भाजपा राज के काम जनता ने देखे हैं और कांग्रेस राज के भी देख रही है। आम लोग सरकार की कार्यप्रणाली से त्रस्त हैं। खान ने कहा कि मुख्यमंत्री एवं उपमुख्यमंत्री को साथ बैठकर जनता की परेशानी को दूर करके उन्हें राहत दिलाने की दिशा में काम करना चाहिए। मध्य प्रदेश में विफल हुआ सरकार गिराने का भाजपाई षड्यंत्र : कांग्रेस

 

कांग्रेस ने कहा है कि मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार को कोई खतरा नहीं है और उसे गिराने का भारतीय जनता पाटीर् का षड़यंत्र विफल हो गया है। राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आज़ाद, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, पार्टी प्रवक्ता विवेक तन्खा तथा संचार विभाग के प्रमुख रणदीप सिंह सुरजेवाला ने गुरुवार को संसद भवन परिसर में पत्रकारों से कहा कि पिछले पांच छह साल से जब से भारतीय जनता पार्टी सत्ता में है तब से प्रदेशों में लोकतंत्र खत्म किया जा रहा है। इस क्रम में सबसे पहले अरुणाचल प्रदेश में चुनी हुई सरकार को गिराया गया, उसके बाद मणिपुर में कांग्रेस की बहुमत वाली सरकार गिरायी गई, गोवा में कांग्रेस के बहुमत को नजरअंदार किया गया और उसे सरकार बनाने नहीं दिया गया। इसी तरह कनार्टक में राज्यपाल ने कांग्रेस के बहुमत को नजरअंदाज कर भाजपा को शपथ दिलाई। अब भाजपा ने मध्य प्रदेश में सेंध लगाने का प्रयास किया लेकिन वह विफल हो गयी है। 

 

कांग्रेस नेताओं ने कहा है कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस के 114 विधायक हैं और एक निर्दलीय प्रदीप जैसवाल मंत्री हैं। अर्थात 115 बहुमत का आंकड़ा है, जो कांग्रेस के पास है। दो बहुजन समाज पार्टी के विधायक, रामाबाई परिहार और संजीव कुशवाहा ने आज भी कांग्रेस के समर्थन की अपनी बात दोहराई है। समाजवादी पार्टी के राधे शुक्ला ने भी अपनी आस्था सरकार में व्यक्त की है। केदार डावर और विक्रम सिंह राणा निर्दलीय विधायक भी कांग्रेस के साथ हैं। उन्होंने कहा 'बुधवार को भाजपाईयों ने षडयंत्र के तहत कुछ विधायकों को हरियाणा के मानेसर में एक होटल में बंधक बनाया, पर वो स्वेच्छा से कांग्रेस के समर्थन में वापस आ खड़े हुए। ऐसी भी सूचना है कि दिल्ली से भाजपा के नेता चार विधायकों को जबरदस्ती बेंगलुरु ले गए हैं, इनमें तीन कांग्रेस के और एक निर्दलीय हैं। भाजपा का यह घिनौना षडयंत्र कांग्रेस के नहीं, अपितु मध्य प्रदेश के खिलाफ है जिसका जवाब प्रदेश की जनता राज्य विधानसभा की कुछ सीटों के लिए होने वाले उपचुनाव में देगी।

 

आजाद ने कहा कि मध्य प्रदेश में सरकार गिराने का यह चौथा प्रयास हुआ है। कांग्रेस इस मुद्दे को संसद में भी उठाएगी। उन्होंने दावा किया कांग्रेस ने कभी इस तरह की राजनीति नहीं की और भाजपा विधायकों की खरीद फरोख्त कर कांग्रेस सरकार को गिराने का यह प्रयास कर रही है जो लोकतंत्र विरोधी कदम है और कांग्रेस इस तरह के कदम की कड़ी निंदा करती है।

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