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भारत चीन सीमा विवाद: ‘मारते-मारते शहीद हुए’ इन 20 जवानों को देश कर रहा सलाम

पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीन के साथ भारतीय सेना की हुई हिंसक झड़प

दिल्ली. पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीन के साथ हिंसक झड़प में शहीद हुए 20 जवानों के नाम सेना ने बताए हैं। भारतीय सेना के ये 20 जवान देश के 11 राज्यों से ताल्लुक रखते थे। हैदराबाद निवासी शहीद कर्नल संतोष बाबू के अलावा जवान बिहार, ओडिशा, तमिलनाडु, पंजाब, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश और छत्तीसगढ़ के रहने वाले थे।

1. कर्नल संतोष बाबू 37 वर्ष, तेलंगाना
16 बिहार रेजीमेंट के कमांडिंग अफसर संतोष बाबू को उनके वरिष्ठ अधिकारी और साथी बेहद सौम्य स्वभाव वाले तेलुगूभाषी व्यक्ति के तौर पर याद करते हैं। संतोष बाबू अपने मातहतों का विशेष खयाल रखने के लिए जाने जाते थे। उनसे हुई आखिरी बातचीत को याद करते हुए एक अधिकारी ने बताया कि फोन पर हुई बातचीत में संतोष बाबू ने अपने बच्चों के एडमिशन की चर्चा की थी।

संभवत: उनकी अगली पोस्टिंग उनके होम स्टेट में ही हो सकती थी। कर्नल बाबू के परिवार में उनकी पत्नी और दो बच्चे हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी कर्नल एस श्रीनिवास राव के मुताबिक-वो एक ऐसे अधिकारी थे, जो अपने मातहतों का बहुत ख्याल रखते थे। वो अपने एनडीए और आईएमए बैच के टॉपर थे। बहुत शानदार ट्रैक रिकॉर्ड वाले एक ऊर्जावान अधिकारी थे।

2. सिपाही गणेस राम कुंजम 28 वर्ष, छत्तीसगढ़
गणेश राम कुंजम बीते जनवरी महीने में सगाई के लिए अपने घर गए थे। वो तीन भाई-बहनों में सबसे बड़े थे और साल 2011 में इंडियन आर्मी जॉइन की थी। छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के एक आदिवासी परिवार से ताल्लुक रखने वाले गणेश राम कुंजम के पिता बताते हैं कि गणेश हमेशा से सेना में जाना चाहता था। इसके लिए उसने बहुत छोटी उम्र से तैयारी शुरू कर दी थी।

हम उसे कॉलेज या सेना में भेजना चाहते थे, लेकिन वो चाहता था कि सेना में जाए। हमें लगा था कि उसे सेना की परीक्षा पास करने में कई प्रयास करने होंगेे, लेकिन वो पहली ही बार में पास हो गया और सेना जॉइन कर ली थी। गणेश के पिता इतवारी राम कहते हैं कि वो हमेशा कहा करता था कि कोई भी दूसरा प्रोफेशन हमारी आर्थिक स्थिति से बाहर है, लेकिन सेना नहीं।

3. दीपक सिंह 31 वर्ष, मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश के रीवा जिले के रहने वाले दीपक सिंह आखिरी बार अपने घर पर होली में आए थे। वापस लौटते हुए उन्होंने घर वालों से वादा किया था कि वो जल्द आएंगे। बीते नवंबर महीने में ही दीपक की शादी हुई थी। दीपक के पिता गजराज सिंह कहते हैं कि किसी ने सोचा भी नहीं था कि बेटे की लाश तिरंगे में लिपटी हुई वापस आएगी।

गजराज सिंह कहते हैं कि उन्हें अपने बेटे के बलिदान पर गर्व है। 20 जून को दीपक को सेना में नौकरी के आठ साल पूरे होने वाले थे। उनकी शहादत पर राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने श्रद्धांजलि दी है।

4. हवलदार सुनील सिंह 37 वर्ष, बिहार
सुनील सिंह पटना के तारानगर गांव के रहने वाले थे। उन्होंने भारतीय सेना साल 2002 में जॉइन की थी। उनके बड़े भाई अनिल कुमार भी सेना से रिटायर हुए हैं। वो कहते हैं कि एक सैनिकों का परिवार होने के नाते हमें सुनील के बलिदान पर गर्व है। सुनील की पत्नी कहती हैं कि वो सात महीने पहले आए थे। सुनील के दो बेटे और एक बेटी है। सुनील के पिता वासुदेव सिंह गांव में ही जनरल स्टोर चलाते हैं।

5. सिपाही कुंदन कुमार 30 वर्ष, बिहार
सहरसा के रहने वाले कुंदन कुमार ने साल 2012 में भारतीय सेना जॉइन की थी। कुंदन की पत्नी बेबी ने बताया कि मेरे पति बीते जनवरी महीने में घर आए थे। हमारी आखिरी बात नौ जून को हुई थी। वो आराम से बातचीत कर रहे थे, लेकिन सीमा पर तनाव की तरफ इशारा किया था। कुंदन के दो बेटे हैं, जिनकी उम्र पांच और तीन साल की है। उनके पिता निमेंद्र यादव ने कहा कि मेरे बेटे का बलिदान व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिए।

6. सिपाही जयकिशोर सिंह 26 वर्ष, बिहार
बिहार के वैशाली जिले के चकफतेह गांव के रहने वाले जयकिशोर सिंह चार भाई-बहनों में दूसरे नंबर के थे। उनके बड़े भाई नंदकिशोर सिंह सीआरपीएफ में हैं। उनके पिता एक किसान हैं। जयकिशोर सिंह आखिरी बार अपने गांव बीते फरवरी महीने में आए थे। उनके रिश्तेदार शिवचन सिंह बताते हैं कि हम उसके विवाह के लिए लड़की तलाश रहे थे। वो गांव के युवा लड़कों को सेना जॉइन करने के लिए प्रेरित करता था। हमें उस पर गर्व है, लेकिन हमारी सरकार को चीन के इस कदम के खिलाफ बड़ा जवाब देना चाहिए।

7. हवलदार के. पलानी 40 वर्ष, तमिलनाडु
हवलदार के. पलानी ने भारतीय सेना 18 साल की उम्र में जॉइन की थी। उनके छोटे भाई भी सेना में हैं। वो कहते हैं कि पलानी ने बचपन में बहुत संघर्ष किया और बहुत मेहनत के बाद सेना जॉइन की थी। उनका मुझ पर बहुत बड़ा असर पड़ा और यही वजह है कि मैं उनके रास्ते पर चला। पलानी की पत्नी कहती हैं कि उन्होंने कहा था कि वो लोग बॉर्डर की तरफ जा रहे हैं।

इसी वजह से वो शायद अभी कुछ दिनों तक फोन नहीं कर पाएंगे। उन्होंने कहा था कि मुझे परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है। पलानी के दो बच्चे हैं, एक बेटा और एक बेटी। पलानी के पिता कहते हैं कि ‘मैं उससे अक्सर कहता था कि अब वापस आ जाओ। वो कहता था कि जल्द ही रिटायर हो जाऊंगा।

8. सिपाही राजेश ओरांग 26 वर्ष, पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले के आदिवासी परिवार से ताल्लुक रखने वाले राजेश ओरांग अपने पिता के इकलौते बेटे थे। वो परिवार के एकमात्र कमाने वाले सदस्य थे। पूरा परिवार उन पर निर्भर था। बेटे की मौत के बाद बिस्तर पर पड़े पिता सुभाष ओरांग कहते हैं कि राजेश मई में वीरभूम आने वाला था, लेकिन लॉकडाउन की वजह से नहीं आ सका था। राजेश ने साल 2015 में भारतीय सेना जॉइन की थी। सेना जॉइन करने के लिए उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई बीच में छोड़ दी थी।

9. हवलदार विपुल रॉय 35 वर्ष, पश्चिम बंगाल
विपुल रॉय पश्चिम बंगाल के अलीपुरद्वार जिले के रहने वाले थे। वो वॉलंटियर रिटायरमेंट लेने की सोच रहे थे। उनका परिवार मेरठ में रहता है। उनके पिता बताते हैं कि विपुल अब वापस लौटकर घर आना चाहता था। कोई नहीं जानता था कि वो जिंदा वापस नहीं आएगा। उनके बलिदान को खाली नहीं जाने देना चाहिए।

10. सिपाही अंकुश ठाकुर 21 वर्ष, हिमाचल प्रदेश
हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के अंकुश ठाकुर पंजाब रेजीमेंट का हिस्सा थे और 2018 में ही मिलिट्री जॉइन की थी। उनके पिता और दादा दोनों ही मिलिट्री में थे। इसी वजह से बहुत छोटी उम्र से ही अंकुश ने भी सेना में ही जाने का विचार बना लिया था। उनके चाचा बताते हैं कि हमने उसके घर वापस लौटने पर एक बड़े फंक्शन की तैयारी की थी। वो सेना जॉइन करने के बाद पहली बार घर लौटने वाला था। लेकिन उसकी यूनिट को आखिरी समय में गलवान भेजा गया, जहां पर चीन के साथ विवाद चल रहा है।

11. सिपाही गुरदीप सिंह 41 वर्ष, पंजाब
गुरदीप सिंह अपने गांव के अन्य लड़कों की तरह विदेश जाना चाहते थे। पिता विरसा सिंह बताते हैं कि वो विदेश जाना चाहता था, लेकिन एकाएक इंटरमीडिएट के दौरान उस पर देश सेवा का जुनून सवार हुआ। फिर उसने सेना में जाने की तैयारी की और 2018 दिसंबर में सेना जॉइन की थी। गुरतेज अपने पिता के तीन बेटों में सबसे छोटे थे। उनके चाचा गुरमेल सिंह ने करगिल युद्ध में हिस्सा लिया था। पिता विरसा सिंह बताते हैं कि गुरदीप से आखिरी बार बातचीत करीब 10 दिन पहले हुई थी। चीन ने हमारी पीठ में छुरा भोंका है और ये आखिरी बार नहीं हुआ है।

12. सिपाही गुरविंदर सिंह 22 वर्ष, पंजाब
संगरूर जिले के टोलावाल गांव के रहने वाले गुरविंदर सिंह आखिरी बार अपने घर नौ महीने पहले गए थे। उनकी सगाई थी। जिले के सरपंच मेवा सिंह बताते हैं कि उसकी शादी की तारीख अभी तक पक्की नहीं हुई थी। हमारे गांव से सेना में बहुत लोग हैं। करीब 30 परिवारों के लड़के सेना में हैं। जिस दिन गुरदीप की मौत की खबर आई उस दिन किसी भी घर में चूल्हा नहीं जला। ऐसा पहली बार हुआ है, जब हमारे गांव के किसी जवान ने जान गंवाई है। गुरविंदर ने सेना मार्च 2018 में जॉइन की थी।

13. नायब सूबेदार सतनाम सिंह 41 वर्ष पंजाब
सतनाम सिंह की शहादत की जानकारी पुलिस ने उनके परिवारवालों की दी। उनका गांव गुरदासपुर जिले में है। आखिरी तीन दिनों में सतनाम सिंह का परिवार से कोई संपर्क नहीं हुआ था। परिवार वाले चीन के साथ बढ़ते विवाद को लेकर चिंतित थे। उनके छोटे भाई सुखचैन सिंह कहते हैं कि सतनाम परिवार में पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने सेना जॉइन की थी। वो साल 1995 में सेना में गए थे। उन्हीं के रास्ते पर चलकर मैंने भी सेना जॉइन की। सतनाम के दो बच्चे, एक बेटा और एक बेटी है। उनकी पत्नी का नाम जसविंदर कौर है।

14. सिपाही कुंदन कुमार झा 28 वर्ष, झारखंड
कुंदन को महज 15 दिन पहले बेटी हुई है। वो बस कुछ ही दिनों में छुट्टी पर घर जाने वाले थे। साहेबगंज के रहने वाले कुंदन के भाई आकाश पाठक कहते हैं कि ‘बेटी के जन्म के पहले कुंदन ने मुझे फोन किया था और कहा था बेटा हो या बेटी जमकर पार्टी करेंगे। कुंदन की मौत के बाद उनकी पत्नी ने कुछ भी नहीं बोला। आकाश कहते हैं कि वो दोनों साथ ही पढ़ते थे। कुंदन ने 2011 में सेना जॉइन की थी। वो दूसरे युवाओं को सेना जॉइन करने के लिए प्रेरित करते थे।

15. सिपाही गणेश हंसदा 21 वर्ष, झारखंड
करीब एक हफ्ते पहले गणेश ने अपने भाई दिनेश को फोन कर बताया था कि वो ऐसे इलाके में है, जहां विवाद चल रहा है। गणेश ने कहा था कि चिंता की बात नहीं है। गणेश एक गरीब परिवार में पैदा हुए थे। दिनेश कहते हैं कि ‘मैंने मजदूरी के लिए पढ़ाई छोड़ दी थी। मैं भी सेना जॉइन करना चाहता था। हमने गणेश को सेना में भेजने के लिए कर्ज लेकर पढ़ाई कराई थी। गणेश ने 2018 में ही मिलिट्री जॉइन की थी। उसके सेना जॉइन करने के बाद ही हमने धीरे-धीरे कर्ज चुकाया।

16. सिपाही चंदन कुमार 23 वर्ष, बिहार
चंदन की शादी मई महीने में होने वाली थी। लेकिन लॉकडाउन की वजह से ऐसा नहीं हो सका। भोजपुर जिले के रहने वाले चंदन ने अपने तीन बड़े भाइयों की राह अपनाई थी। उनके तीनों बड़े भाई सेना में हैं। चंदन के पिता कहते हैं कि मेरे बेटे का बलिदान खाली नहीं जाने देना चाहिए।

17. नायब सूबेदार मंदीप सिंह 38 वर्ष, पंजाब
नायब सूबेदार मंदीप सिंह ने आखिरी बार बातचीत में अपनी पत्नी से लद्दाख में खराब नेटवर्क की बात कही थी। उनकी लद्दाख में पोस्टिंग कुछ ही समय पहले हुई थी। वो लॉकडाउन में अपने गांव आए थे। वो पटियाला के रहने वाले थे। मंदीप सिंह अपने परिवार के इकलौते कमाने वाले व्यक्ति थे। उन्होंने 1997 में सेना जॉइन की थी। उनका एक बेटा और एक बेटी है। उनके परिवार के एक व्यक्ति ने बताया कि मंदीप ने सेना अपने परिवार की आर्थिक स्थितियों की वजह से जॉइन की थी।

18. सिपाही चंद्रकांत प्रधान 28 वर्ष, ओडिशा
कंधमाल जिले के निवासी चंद्रकांत प्रधान अपने परिवार में कमाने वाले इकलौते आदमी थे। उनके पिता छोटे किसान हैं। पिता बताते हैं कि चंद्रकांत ने 2014 में सेना जॉइन की थी और आखिरी बार दो महीने पहले गांव आए थे। चंद्रकांत आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखते थे। उनके पिता कहते हैं कि हमे गर्व है कि बेटे ने मातृभूमि की रक्षा के लिए जान दी।

19. नायब सूबेदार नंदूराम सोरेन 43 वर्ष, ओडिशा
नायब सूबेदार नंदूराम सोरेन मयूरभंज जिले के रहने वाले थे। उनके बड़े भाई ने बताया कि नंदू ने 1997 में भारतीय सेना जॉइन की थी।

20. सिपाही अमन कुमार बिहार
अमन कुमार समस्तीपुर जिले के सुल्तानपुर गांव के रहने वाले थे। उन्होंने सेना 2014 में जॉइन की थी। वो तीन भाइयों में दूसरे नंबर के थे। उनके पिता किसान हैं और कहते हैं कि ‘हमें अपने बेटे और उसके साथियों के बलिदान पर गर्व है।

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