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भारत के लिए नहीं है अच्छी खबर?, नेपाल-चीन की बढ़ती दोस्ती

 
काठमांडू

चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग का 2 दिनों का नेपाल दौरा रविवार को खत्म हो गया। हिमालय की गोद में बसे इस देश के साथ चीन ने रणनीतिक साझेदारी मजबूत करने के साथ ही 56 बिलियन की सहयोग राशि देने का भी ऐलान किया है। पिछले 20 वर्षों में किसी चीनी राष्ट्रपति की यह पहली नेपाल यात्रा है। नेपाल के साथ लगातार संबंध प्रगाढ़ करने में जुटे चीन के राष्ट्रपति ने कहा, 'चीन सदैव नेपाल की स्वतंत्रता, संप्रभुता और क्षेत्रीय एकता को मजबूत करने के लिए खड़ा रहेगा।' राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि चीन ने इशारों में भारत को सुनाने के लिए यह संदेश दिया है।

चीन और नेपाल की दोस्ती इन दिनों हो रही मजबूत
विदेश मामलों के जानकारों का कहना है कि प्रेजिडेंट शी चिनफिंग की नेपाल यात्रा चीन और नेपाल की दोस्ती के सुनहरे मौसम के तौर पर देखा जाना चाहिए। चाइना इंस्टिट्यूट ऑफ फॉरेन पॉलिसी के एक एक्सपर्ट ने इस दोस्ती के लिए 'स्प्रिंग सीजन' शब्द का प्रयोग किया। राज्य प्रायोजित चीनी टैबलॉयड ग्लोबल टाइम्स ने भी अपने एक स्तंभ में ऐसी ही राय रखी। ग्लोबल टाइम्स ने लिखा, 'नेपाल एक स्वतंत्र संप्रभु देश है। नेपाल को अपने हितों को ध्यान में रखते हुए विदेश नीति का निर्धारण और रणनीतिक साझेदार बनाने का अधिकार है। जियोपॉलिटिकल समीकरणों में सिर्फ एक मोहरा बनने से बेहतर है कि नेपाल चीन-भारत प्लस फॉर्म्युले पर काम करे।'
 
बेल्ट ऐंड रोड परियोजना में नेपाल ने दिखाई दिलचस्पी
नेपाल ने चीनी प्रेजिडेंट की यात्रा के दौरान बेल्ट ऐंड रोड परियोजना में सक्रिय भागीदारी की इच्छा जताई। इस दौरान नेपाल ने ट्रांस-हिमालयन रेलवे नेटवर्क को शुरू करने का मुद्दा फिर से उठाया। इस हरक्युलिन इंजिनियरिंग प्रॉजेक्ट को लंबे समय से हकीकत से दूर माना जा रहा है, लेकिन चीन बार-बार इसे पूरा करने को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दोहराता रहा है। पीपल्स डेली में छपी खबर के अनुसार चीन की एक कंपनी जो बीआरआई प्रॉजेक्ट में सक्रिय है, उसने नेपाल में एक स्कूल का भी निर्माण कराया है।

भारत को यह कैसे कर सकता है प्रभावित?
यह बदलते हुए समीकरण भारत को बड़े स्तर पर प्रभावित कर सकते हैं। भारत अभी तक नेपाल का सबसे बड़ा व्यापार सहयोगी है। साथ ही अपनी भौगोलिक सीमाओं के कारण भारत ही नेपाल के लिए दुनिया में पहुंचने का प्रवेश-द्वार (गेटवे) है। नेपाल का कुल व्यापार 2018 में 6.82 बिलियन रहा जिसमें से भारत का हिस्सा 6.38 बिलियन था। नेपाल रोड लिंक के जरिए भारत पर निर्भर है और 2015 में नेपाल ने भारत पर आर्थिक ब्लॉकेज बनाने का भी आरोप लगाया था। नेपाल ने भारत पर उसक वक्त यह भी आरोप लगाया था कि भारत नेपाल के नए संविधान से खुश नहीं है।
 
भारत के खिलाफ नेपाल में कई प्रॉजेक्ट
भारत और नेपाल के रिश्तों के बदलते समीकरण कई मौजूदा प्रॉजेक्टस से समझे जा सकते हैं। चीन के बीआरआई प्रॉजेक्ट के साथ नेपाल और चीन एक रेलवे लाइन प्रॉजेक्ट पर भी काम कर रहे हैं। दोनों ही प्रॉजेक्ट भारत के रणनीतिक हितों के अनुकूल नहीं है। पिछले साल ही भारत ने चीन के साथ नेपाल की बढ़ती नजदीकियों के बाद एक महत्वपूर्ण रेलवे प्रॉजेक्ट साइन किया था। 130 किमी. का रेलवे प्रॉजेक्ट काठमांडू से बिहार के रक्सौल के लिए दोनों देशों ने साइन किया था।

चीन का नेपाल पर लगातार बढ़ रहा है प्रभाव
चीन का नेपाल पर बढ़ता प्रभाव सिर्फ बीआरआई तक ही सीमित नहीं है। सितंबर में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने 2 दिनों को एक सेमिनार शी चिनफिंग के विचार नाम से किया था। इस सेमिनार में नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की पार्टी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्यों ने भी हिस्सा लिया था।
 

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