नई दिल्ली
केंद्र सरकार और उद्योग जगत के बीच मूल वेतन (बेसिक सैलरी) में भत्ते को शामिल करने पर सहमति बन गई है। इसको लेकर कर्मचारियों को मिलने वाले भत्ते की नई श्रेणी तैयार की जा रही है। सूत्रों ने हिन्दुस्तान को बताया है कि वेतन का नया संरचना अगले वित्त वर्ष से लागू किया जा सकता है। नया वेतन संरचना देशभर में न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के साथ ही शुरू होने की संभावना है।
सूत्रों ने बताया कि सरकार ने उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद से ही वेतन और उसके साथ मिलने वाले भत्ते पर पर नए सिरे से काम करना शुरू कर दिया है। इसी महीने हुई बैठक में सरकार, उद्योग जगत और श्रमिक संघ के बीच विचार इस मुद्दे पर विमर्श किया गया। जानकारी के मुताबिक, सरकार के मूल वेतन में भत्ते का हिस्सा जोड़ने की बात मानने को उद्योग जगत सशर्त तैयार है।
उद्योग जगत ने रखी दो शर्तें
उद्योग जगत ने सरकार से कहा है कि अलग-अलग क्षेत्र के लिए भत्ते की श्रेणी स्पष्ट कर दी जाए ताकि उसी हिसाब से इसका तय प्रतिशत मूल वेतन में जोड़ा जा सके। सरकार इस बात पर सहमत हो गई है। इसके अलावा एक शर्त यह भी रखी गई है कि सारे सेक्टर में इसे एक साथ लागू नहीं किया जाए। इसके लिए सेक्टर्स तय किए जाएं। सरकार फिलहाल कर्मचारियों को उनकी कार्य कुशलता के हिसाब से चार श्रेणी रखने की दिशा में आगे बढ़ रही है।
श्रमिक संघ कर रहें थे शिकायत
श्रमिक संघ की तरफ से लगातार इस बारे में शिकायत होती रही हैं कि कंपनियां कम पीएफ देने के चक्कर में कर्मचारी की मूल वेतन कम ही रखती हैं और दूसरे विशेष भत्ते के नाम पर वेतन का बड़ा हिस्सा दिया जाता है। ऐसा होने से न सिर्फ कर्मचारी का मूल वेतन कम रह जाती है बल्कि उसके जरिए जमा किया जाने वाला भविव्य नीधि (पीएफ) भी कम रह जाता है। मामला उच्चतम न्यायालय में पहुंचा और कोर्ट ने कंपनियों को कहा कि मूल वेतन और भत्ते को अलग नहीं किए जा सकते हैं।
क्या होगा आप पर असर
नए नियम के तहत मूल वेतन में सभी भत्ते जुड़ जाएंगे। इसके चलते कंपनियों को पीएफ मद में ज्यदा रकम जमा करनी होगी। इससे कर्मचारी के पीएफ में जमा होने वाली रकम बढ़ जाएगी लेकिन हाथ में कम वेतन मिलेगा। ऐसा इसलिए होगा कि कंपनियां कंपनी की लागत (सीटीसी) के आधार पर कर्मचारी की भर्ती करती है।
अगले साल 'कोड ऑन वेजेज' लागू होगी
नया न्यूनतम वेतन अधिनियम ('कोड ऑन वेजेज') अगले वित्त वर्ष से लागू होने की उम्मीद है। इसके मसौदे में सरकार ने आवास किराया भत्ता को मूल वेतन से अलग रखने का प्रस्ताव दिया है। वहीं दूसरे भत्ते का 50 फीसदी मूल वेतन में शामिल करने की भी योजना है। हालांकि अब नई श्रेणी आने के बाद ही उसका हिस्सा तय हो पाएगा। नए नियम में प्रदर्शन जुड़ा हुआ भत्ता की श्रेणी नहीं होगी। साथ ही मूल वेतन किसी भी सूरत में प्रस्तावित तय न्यूनतम वेतन से कम नहीं हो सकेगी।