रायपुर
बेघर और सडकों पर बेवजह घूमने वाले मानसिक रूप से अस्वस्थ लोगों को परिजनों तक पहुंचाने की और उनका उपचार करने की जिम्मेदारी अब पुलिस विभाग की भी होगी। इसका प्रावधान मेंटल हेल्थकेयर एक्ट, 2017 में है। इस प्रावधान को बेहतर तरीके से क्रियान्वित करने के लिए गृह विभाग ने पत्र जारी कर प्रदेश के सभी थानेदारों को निर्देशित करते हुए इस अधिनियम की धारा 100 का पालन करने के लिए निर्देशित किया है ।
गृह विभाग से जारी पत्र में कहा गया है मेंटल हेल्थ केयर 2017 की धारा 100 के तहत थाना प्रभारियों का कर्तव्य है कि वह अपने थाना क्षेत्र के अंतर्गत मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति के आश्रय और उपचार का जिम्मा अब उनपर भी है। घूमते हुए पाए जाने पर ऐसे रोगियों को सुरक्षा में लिया जाए लेकिन उन्हें किसी भी परिस्थिति में पुलिस लॉकअप या जेल में नहीं रखा जा सकता है। ऐसे मानसिक रोगी बेघर या भटके हुए हैं ऐसे मामलों में पुलिस थाना में उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज की जाएगी और उनके परिजनों के संबंध में पता साजी की जाएगी।परिजनों के मिलने पर उनको इस व्यक्ति के बारे में जानकारी दी जाएगी और ऐसे व्यक्तियों को उचित उपचार के स्पर्श क्लीनीक में या शासकीय अस्पतालों में ले जाया जाएगा।
पत्र में कहा गया है उपचार के दौरान अगर यह पाया जाता है की मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति को अस्पताल में रखने की आवश्यकता नहीं है,तो उस व्यक्ति को उसके परिजनों को सौंप दिया जाए। अगर मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति बेघर होने की स्थिति में उन्हें शासन द्वारा संचालित देखभाल या आश्रय केंद्र भेज दिया जाए। मेंटल हेल्थ केयर 2017 की धारा 100 का उल्लंघन करने पर सजा एवं जुमार्ना का प्रावधान है जिसके प्रवाधानों के निदेर्शानुसार कार्रवाई करके अधिकारियों को की गई कार्रवाई से अवगत कराना सुनिश्चित किया जाएगा। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम छत्तीसगढ़ के उपसंचालक डॉ. महेंद्र सिंह ने कहा राज्य स्तरीय मानसिकस्वास्थ्य चिकित्सालय, सेंद्री, बिलासपुर में स्थापित है । साथ ही 27 जिलों के जिला चिकित्सालय में स्पर्श क्लिनिक के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य से पीडित मरीजों को सुविधाएं प्रदान की जा रही है। पुलिस विभाग के द्वारा घुमंतू मानसिक रोगियों को अगर वह लेकर आते हैं तो उन्हें बेहतर सुविधाएं प्रदान करने में सहयोग दिया जाएगा।