बिजली बचत: मंत्री-अफसर के आने पर ही कक्ष में चलेंगे एसी-पंखे

पटना  
मंत्री हों, अफसर या अन्य कर्मी, इनके कक्ष में आने के बाद ही वहां के एसी, पंखे, बल्ब और टीवी चलेंगे। इनके जाते ही ये सभी बंद कर दिए जाएंगे। बिजली का दुरुपयोग रोकने को  लेकर मुख्यमंत्री की पहल पर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने इसका निर्देश सभी विभागों और जिलों को दिया है। 

दो अक्टूबर को जल-जीवन-हरियाली की लांचिंग होनी है, उसी दिन ऊर्जा बचाओ अभियान की भी विधिवत शुरुआत होगी। हालांकि इस पर काम अभी से ही शुरू हो गया है। मुख्य सचिव ने कहा कि बिहार सरकार ने लक्ष्य रखा है कि बिजली की खपत आधी करनी है। शुक्रवार को सभी विभागों के आलाधिकारियों और वीडियो कॉन्फ्रेंसिग कर जिलाधिकारियों को इस संबंध में विस्तार से बताया गया। मुख्य सचिव ने कहा कि सभी विभागों में अलग मीटर लगेंगे और उनके सेक्शनों में सब-मीटर लगेंगे, ताकि सबों की जवाबदेही तय हो। इसकी अब निरंतर मॉनिटरिंग होगी। हर माह और फिर एक साल में देखा जाएगा कि बिजली खपत में कितनी कमी आई। 

डीएम से कहा गया है कि वे अपने यहां बैठक कर इस पर सभी को निर्देश दें। मुख्य सचिव ने कहा कि निजी क्षेत्रों में बिजली खपत कम करने पर रिवार्ड देने की नीति बनेगी। उदाहरण के लिए किसी अपार्टमेंट में पिछले साल की अपेक्षा इस साल अगर 40 से 50 प्रतिशत तक बिजली खपत कम होती है, तो उन्हें रिवार्ड दिया जाएगा। इस तरह निजी क्षेत्रों में भी इसके लिए प्रोत्साहित करना है। स्ट्रीट लाइट समय पर जलें और बंद हों, यह सुनिश्चित होगा। कोशिश हो रही है कि पोल में सेंसर लगे, जो किसी के आने-जाने के समय ही जलेगा। दूसरा विकल्प यह हो सकता है कि रात दस बजे के बाद आधी स्ट्रीट लाइटें बंद हो जाएं। 

बिजली पर 1200 करोड़ का खर्च 
बिहार सरकार के विभिन्न भवनों और संबंधित कार्यालयों में सालाना 1200 करोड़ की बिजली खर्च होती है। मुख्य सचिव ने कहा कि लक्ष्य रखा गया है कि सितंबर से अगले एक साल में हम सभी 1200 करोड़ की जगह सिर्फ 600 करोड़ की बिजली खर्च करें। मुख्य सचिवालय में आज इसका असर भी दिखा। शुक्रवार को मुख्य सचिव के कक्ष में भी दो में एक ही एसी चल रहा था। 

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