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बदलते समय के अनुसार खुद को ढालना होगा : अमित त्रिवेदी

नई दिल्ली
बॉलीवुड फिल्मों में अमित त्रिवेदी ने कई बेहतरीन गानों को अपनी आवाज दी है। उनके गाने 'इमोशनल अत्याचार' (2009) से लेकर 'लंदन ठुमकदा' (2014) और 'नैना दा क्या कसूर' (2018) काफी सराहे गए। गायक व संगीतकार त्रिवेदी दर्शकों के बीच काफी लोकप्रिय भी हो चुके हैं।

40 साल के त्रिवेदी ने 'देव डी' से प्रसिद्धि पाई, जिसने उन्हें कई पुरस्कार दिलाए, जिसमें एक राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी शामिल है।

यह पूछे जाने पर कि तेजी से बदलते बॉलीवुड में वह किस तरह लगातार प्रासंगिक हैं, त्रिवेदी का कहना है कि मंत्र 'सामंजस्य स्थापित करना' है।

उन्होंने कहा, "आपको बदलते समय के अनुसार खुद को ढालना होगा। कोई दूसरा रास्ता नहीं है।"

उन्होंने गाना कंपोज करने के संबंध में कहा, "यह कथा के साथ शुरू होता है, जहां एक लेखक और निर्देशक हैं। वे एक महत्वपूर्ण संयोजन हैं और मेरे लिए उनके बिना कुछ भी नहीं हो सकता है। वे मुझे उस दुनिया में लाते हैं कि फिल्म और चरित्र क्या हैं?"

त्रिवेदी ने कहा, "मैं उस बिंदु से बारीकियों को चुनना शुरू करता हूं, जहां फिल्म सेट की गई है और दर्शकों के लिए यह क्या कहने की कोशिश कर रही है। उन सभी चीजों को ध्यान में रखते हुए मैं अपने दिमाग में ध्वनि और संगीत की दुनिया तैयार करता हूं।"

त्रिवेदी कहते हैं कि कंपोजिंग पहले बहुत ही सुंदर प्रक्रिया हुआ करती थी, लेकिन अब इसे व्यावसायिक रूप से संचालित किया जाता है।

त्रिवेदी 16 नवंबर को मुंबई में वनप्लस संगीत समारोह में प्रस्तुति देंगे।

त्रिवेदी इन दिनों तीन प्रोजेक्टों पर काम कर रहे हैं।

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