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फोर्टिस के पूर्व प्रमोटर शिविंदर मोहन सिंह गिरफ्तार

नई दिल्ली
फोर्टिस ग्रुप के पूर्व प्रमोटर शिविंदर मोहन सिंह को गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया गया। रेलिगेयर फिन्वेस्ट की शिकायत के बाद यह गिरफ्तारी सामने आई है। कंपनी ने उनपर धोखाधड़ी का आरोप लगाया है। इसी मामले में पुलिस उनके भाई मालविंदर मोहन सिंह की भी तलाश कर रही है।दिल्ली पुलिस ने रेलिगेयर एंटरप्राइजेज लिमिटेड के प्रमोटर रहे मालविंदर मोहन सिंह और शिविंदर मोहन सिंह पर धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश रचने और विश्वासघात करने के आरोप में मामला दर्ज किया था।
रेलिगेयर के एक सीनियर मैनेजर की शिकायत पर दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने FIR दर्ज की थी। इसमें सिंह ब्रदर्स के अलावा, आरईएल के फॉर्मर सीएमडी सुनील गोधवानी और स्टॉक ब्रोकर एन. के. घोषाल के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया।

रेलिगेयर के सीनियर मैनेजर ने शिकायत की है कि कंपनी और उसकी सब्सिडियरी रेलिगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड (RFL) से धोखाधड़ी की गई और 'सैकड़ों करोड़ रुपये की हेराफेरी कई फाइनैंशल ट्रांजैक्शंस के जरिए की गई।' इस शिकायत में आरोप लगाया गया है कि सिंह ब्रदर्स ने सह-आरोपियों से सांठगांठ कर '2016 में वित्तीय घोटाला किया।' इसमें आरोप लगाया गया है कि दोनों भाइयों ने 'सोच-विचार कर आपराधिक साजिश रची, जिसके जरिए बड़ा वित्तीय घपला किया गया।'

शिकायतकर्ता ने इन प्रॉपर्टीज का पता लगाकर लौटाए जाने मांग की है। शिकायत में कहा गया है कि सिंह ब्रदर्स फरवरी 2018 तक आरईएल के प्रमोटर थे और बतौर प्रमोटर 'आरएफएल के मैनेजमेंट पर उनका बहुत ज्यादा कंट्रोल था, क्योंकि सब्सिडियरी कंपनी थी।'

यह शिकायत एफआईआर में शामिल की गई है। इसमें कहा गया, 'आरईएल का यह मानना है कि सिंह ब्रदर्स और सुनील गोधवानी ने सांठगांठ कर आरईएल और आरएफएल सहित इसकी सब्सिडियरीज से पैसा इधर-उधर किया और कॉर्पोरेट फ्रॉड को अंजाम दिया। आरएफएल का भी यही मानना है।'

आरईएल और आरएफएल ने इस कथित फ्रॉड की जांच के लिए कॉरपोरेट अफेयर्स मिनिस्ट्री के पास एक अलग शिकायत दी है। शिकायतकर्ता ने कहा है कि सिंह ब्रदर्स ने विभिन्न बैंकों के पास जो शेयर गिरवी रखे थे, उन्हें इस साल फरवरी में उन बैंकों ने जब्त कर लिया, लिहाजा सिंह ब्रदर्स का आरईएल और आरएफएल सहित इसकी सब्सिडियरीज पर कंट्रोल पूरी तरह खत्म हो चुका है। शिकायतकर्ता ने कहा है कि इस बदलाव के चलते नया बोर्ड बनाया गया है, जिसमें ऐसे प्रफेशनल्स हैं, जिनका प्रमोटरों से कोई नाता नहीं है।

उन्होंने कहा है, 'कामकाज संभालने के बाद नए बोर्ड और मैनेजमेंट ने पाया कि आरईएल और इसकी सब्सिडियरीज की वित्तीय स्थिति बहुत खराब है। इस पर उन्होंने इस हालत के कारण तलाशे। आंतरिक जांच में पाया गया कि इस खराब माली हालत का कारण काफी हद तक बड़ी मात्रा में दिए गए अनसिक्योर्ड लोन पर विलफुल डिफॉल्ट थे। ये लोन आरएफएल से ऐसी इकाइयों को दिए गए जो या तो प्रमोटरों से जुड़ी थीं या उन पर प्रमोटरों का कंट्रोल था।'

शिकायतकर्ता ने कहा है कि आरबीआई के आगाह करने पर भी सिंह ब्रदर्स ने सुधार का कदम जानबूझकर नहीं उठाया और 'फाइनैंशल स्कैम' करते रहे।

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