रायपुर
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission) के अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड चीफ जस्टिस ने छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की राजधानी रायपुर (Raipur) में कहा कि 'एनएचआरसी 'टूथलेस टाइगर' है. मानवाधिकार उल्लंघन के मामले में अपनी सिफारिशें मनवाने के लिए आयोग को पर्याप्त अधिकार नहीं हैं. आयोग सिफारिश तो कर सकता है, लेकिन कार्रवाई करने या सरकार को इसके लिए बाध्य करने का अधिकार नहीं है. फिर भी 99 फीसदी मामलों में आयोग द्वारा की गई सिफारिशों को राज्य सरकारें मानती हैं.' ये पहला मौका नहीं था, जब एनएचआरसी अध्यक्ष दत्तू ने ऐसा कहा हो. इससे पहले भी वे तमाम मंचों से आयोग को टूथलेस टाइगर कहते रहे हैं.
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की राजधानी रायपुर (Raipur) में गुरुवार को एनएचआरसी (NHRC) द्वारा अनुसूचित जाति एवं जनजाति से संबंधित प्रकरणों की जनसुनवाई की गई. सुनवाई के बाद एनएचआरसी के अध्यक्ष एचएल दत्तू ने मीडिया से चर्चा की. इसी दौरान उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि ये सच है कि एनचआरसी टूथलेस टाइगर की तरह है, लेकिन धीरे उसे अधिकार बढ़ रहे हैं. मीडिया से चर्चा के दौरान एनएचआरसी के अन्य सदस्य भी थे. बताया गया कि पुलिस या अन्य सुरक्षा बलों द्वारा फेक एनकाउंटर के 144 प्रकरणों की जांच आयोग कर रहा है. इसको लेकर आयोग संवेदनशील है.
मीडिया से चर्चा में बताया कि एनचआरसी के सिंगल बेंच में आज 54 प्रकरणों का आज निपटारा किया गया. जबकि एनएचआरसी अध्यक्ष वाली बेंच में 12 गंभीर प्रकरणों पर सुनवाई हुई. ज्यादातर मामलों में तत्काल निराकरण की कोशिश की गई. एनएचआरसी के सदस्य जयदीप गोविंद ने बताया कि प्रदेश में पुलिस प्रताड़ना के मामले ज्यादा आए हैं. इसके अलावा एनटीपीसी मे स्थानीय लोगों को नौकरी और जमीन के मामले आयोग के सामने आये. कई जगहों पर आदिवासियों की जमीनों का मुआवजा नहीं मिला है. आयोग ने पुलिस को फटकार लगाते हुए पुलिस से संबंधित पुलिस अधिकारियों को जल्द से जल्द से निपटाने के निर्देश दिये हैं.
12 लाख रुपये मुआवजा दिलवायामीडिया से चर्चा के दौरान एनएचआरसी सदस्यों ने बताया कि अलग अलग प्रकरणों में 12 लाख 90 हजार रुपये मुआवजा की राशि राज्य सरकार द्वारा पीड़ितों को दिलवाई गई है. इसके अलावा 54 लाख रुपये अलग अलग प्रकरणों में पीड़ितों को मुआवजा राशि देने की सिफारिश राज्य सरकार से की गई है. इसमें से कई मामले गंभीर हैं.
एनचआरसी ने छत्तीसगढ़ में 22 अगस्त 2017 में सेप्टिक टैंक में सफाई के दौरान मौत को गंभीरता से लिया. बताया गया कि सरकार को निर्देश दिया गया है कि सफाई के संसाधनों को उपलब्ध कराने के साथ ही संवेदनशील स्थानों पर मशीन से सफाई की व्यवस्था की जाए. इसके अलावा एक नवजात के डस्टबीन में गिरने से मौत मामले में यदि मेडिकल स्टाफ जिम्मेदार हो तो मुआवजा देने कहा गया है. प्रदेश का बहुचर्चित महिला कांस्टेबल के शारीरिक शोषण के मामले में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने इस प्रकरण को बड़े गंभीरता से लिया है. आयोग ने इस प्रकरण में पाया है कि आईपीएस का प्रमोशन बाद में किया गया, जिसके बाद से कैट की व्यवस्था को राज्य सरकार से चैलेंज करने निर्देश दिये हैं.