मध्य प्रदेश

पर्यावरण को बचाने हरियाली तीज पर महिलाओं ने किया पौधरोपण


पर्यावरण संरक्षण स्वस्थ जीवन के लिए बेहद आवश्यक

भोपाल. हरियाली तीज के मौके पर जागरूक महिला मंडल द्वारा गुरुवार को शासकीय आवास कोटरा में पौधरोपण किया गया। इस दौरान महिलाओं ने कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को ध्यान में रखते हुए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए पर्यावरण के लिए काम किया। इस मौके पर निशा उपाध्याय, सविता, संध्या, सुनीता, मंजू सहित अन्य महिलाएं मौजूद रहीं।

पूरी दुनिया में व्याप्त तरह-तरह के प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कारगर प्रयासों पर मंथन करके, भविष्य में पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण करने के लिए बेहद आवश्यक कदमों पर अमल करने के उद्देश्य से उसकी रूपरेखा बनाने के लिए नीतिनिर्माताओं के साथ-साथ लोगों को जागरूक करने के लिए सम्पूर्ण विश्व में आम जनमानस के द्वारा हर वर्ष ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ मनाया जाता है।

जब इस दिवस को शुरुआत में मनाने की घोषणा संयुक्त राष्ट्र महासंघ ने पर्यावरण की सुरक्षा के प्रति वैश्विक स्तर पर सभी देशों के आम जनमानस में राजनीतिक और सामाजिक जागृति लाने के उद्देश्य से वर्ष 1972 में की थी। इसे 5 जून से 16 जून तक संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा आयोजित विश्व पर्यावरण सम्मेलन में चर्चा के बाद शुरू किया गया था। उसके बाद ही विश्व में 5 जून 1974 को पहला ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ मनाया गया था।

सोचने वाली बात यह है कि फिर भी आज विश्व के अधिकांश देशों में बढ़ता प्रदूषण वर्तमान समय की एक सबसे ज्यादा बेहद गंभीर ज्वलंत समस्या बन गया है। कहीं ना कही विश्व में हर तरफ छिड़ी विकास की अंधाधुंध अव्यवस्थित दौड़ ने जगह-जगह प्रदूषण फैलाने में अपना योगदान देकर हमारी भूमि, जल व वायु को प्रदूषित करके हर तरफ आवोहवा को खराब करने का काम किया है।

आज भारत में भी हर तरह का प्रदूषण अपने चरम स्तर पर है, हालांकि देश में पिछले कुछ माह के लॉकडाउन के चलते हर तरफ सभी कुछ बंद होने के कारण पर्यावरण को पुनर्जीवित होने के लिए भरपूर अवसर मिल गया है, जिसके चलते देश में आजकल सभी प्रकार के प्रदूषण से लोगों को काफी राहत मिली है। लेकिन महत्वपूर्ण विचारणीय प्रश्न यह है कि देश में पर्यावरण की यह स्थिति लगातार किस प्रकार बनी रहे, अब तो चलो कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए देश में हुए लॉकडाउन से पर्यावरण को संजीवनी मिल गयी, लेकिन लॉकडाउन खुलने के बाद भविष्य में यह स्थिति किस प्रकार बरकरार रखें यह चुनौती व जिम्मेदारी देश के हर व्यक्ति को समझनी होगी।

मौसम की प्रतिकूलता साल दर साल हमारी गलतियों की वजह से ही बढ़ रही है।
कोरोना संक्रमण से बचने के लिए देश में किये गये लॉकडाउन के बाद आया ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ इस बार हम सभी लोगों को एक बेहद महत्वपूर्ण सबक देता है कि देश में हर तरफ फैले बेहिसाब घातक प्रदूषण के लिए हम स्वयं जिम्मेदार हैं। क्योंकि जिस तरह से देश में कल-कारखाने व अन्य सभी कुछ कार्य बंद होने के चलते जल, वायु व भूमि प्रदूषण में चंद दिनों में ही भारी कम आयी है, उसने सभी विशेषज्ञों को भी आश्चर्यचकित कर दिया है।

आज जो नदियां करोड़ों रुपए सालाना स्वच्छता पर खर्च करने के बाद भी साफ नहीं हो पा रही थीं। वह सभी लॉकडाउन में सब कुछ बंद होने के चलते स्वत: साफ हो गयी हैं। लॉकडाउन की वजह से साफ हुए नदी, जल स्रोत, स्वच्छ वायु, साफ नीले तारे टिमटिमाता आसमान, स्वछंद घूमते जीव-जंतु आदि हम सभी को एक बहुत महत्वपूर्ण संदेश देते हैं कि यह सब घातक प्रदूषण मानव के द्वारा खुद पैदा किया गया है। इसलिए प्रकृति का हम सभी लोगों के लिए बिल्कुल स्पष्ट संदेश है कि देश में भूमि, जल, वायु व ध्वनि प्रदूषण कम करने की जिम्मेदारी हमारी खुद की है। हम सभी लोगों को पर्यावरण संरक्षण के लिए जीवनदायिनी प्रकृति के साथ तालमेल बना कर चलना होगा।

भविष्य में हमको प्राकृतिक संसाधनों का सोच-समझकर और बेहद संभलकर उपयोग करना होगा, तब ही आने वाले समय में देश में पर्यावरण का संरक्षण ठीक से होगा और हम सभी लोगों की रोजमर्रा की जरूरतों को प्रकृति पूर्ण कर पाएगी। आज हमको ध्यान रखना होगा कि प्रदूषण का बढ़ते स्तर का ज्वंलत मुद्दा, आने वाले समय में देशों में सीमा, जाति और अमीर-गरीब की दीवारों को समाप्त करने वाला यह ऐसा मुद्दा होगा, जिस पर पूरी दुनिया के लोगों को जीवन को सुरक्षित बचाए रखने के लिए हर हाल में एक होना होगा।

आज हमको अपने सेवा भाव, दृढ़ संकल्प व दृढ़ इच्छाशक्ति के बलबूते देश में पर्यावरण संरक्षण को भाषणों, फिल्मों, किताबों और लेखों से बाहर लाकर, हर भारतवासी को प्रकृति व पर्यावरण के प्रति अपनी बेहद महत्वपूर्ण जिम्मेदारी को समय रहते दिल व दिमाग दोनों से समझना होगा, तभी भविष्य में प्रदूषण कम होगा और धरातल पर पर्यावरण संरक्षण के कुछ ठोस प्रभाव नजर आ सकेंगे।

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