नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट से क्यूरेटिव खारिज होने के बाद निर्भया के दोषियों में सबसे अधिक बैचेन विनय शर्मा हुआ। उसकी बढ़ती बैचेनी देखकर तिहाड़ जेल प्रशासन ने उसकी निगरानी और कड़ी कर दी है। मंगलवार को उसने अपने पिता से भी मुलाकात की। उसने अपने पिता से मुलाकात करने के लिए जेल प्रशासन से आग्रह किया था। उस आग्रह को मानकर जेल प्रशासन ने मंगलवार को उसके पिता से उसकी मुलाकात करा दी। इस दौरान वह एक बार को रो भी पड़ा। पिता से उसकी मुलाकात जेलर के ऑफिस में कराई गई।
जेल सूत्रों ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट से क्यूरेटिव खारिज होने के बाद निर्भया के दोषियों का पहला रिएक्शन यही था कि उन्हें तो इस बारे में पहले ही आशंका थी। लेकिन फिर भी लगता था कि कहीं कुछ गुंजाइश हो तो शायद अपना कानूनी उपचार करके तो देख लें। क्यूरेटिव खारिज होने के बाद सबसे बड़ा झटका निर्भया के कातिलों में से एक विनय को लगा। जैसे ही इसे टीवी पर इसका पता लगा। यह बहुत परेशान हो गया।
टीवी पर क्यूरेटिव खारिज होने की खबर देख हुए परेशान
बता दें कि अभी तक चारों के सेल में टीवी लगे हुए हैं। जहां यह समाचार भी देखते रहते हैं। विनय के बाद अगर इन चारों में से कोई दूसरा अधिक परेशान हुआ तो वह था मुकेश। बाकी पवन और अक्षय को देखकर तो बहुत अधिक ऐसा नहीं लग रहा था कि क्यूरेटिव खारिज होने के बाद अब इनकी जिंदगी के चंद घंटे ही बचे हैं। जेल अधिकारियों ने बताया कि फिलहाल चारों सामान्य रूप से खाना खा-पी रहे हैं। चारों में से किसी ने भी अभी तक जेल अधिकारियों के सामने अपना गुनाह कबूल नहीं किया है। चारों को देखने से ऐसा कुछ नहीं लगता है कि इन्हें अपने गुनाह का कोई पश्चाताप भी हो। हां, विनय और मुकेश की नींद उड़ गई है। जेल सूत्रों का कहना है कि जल्द ही चारों को फांसी की कोठी वाली जेल नंबर-3 में शिफ्ट कर दिया जाएगा।
राष्ट्रपति के पास दया याचिका ही आखिरी उम्मीद
अब राष्ट्रपति के नाम मुकेश ने अपनी दया याचिका लगाने के लिए जेल प्रशासन को पत्र दे दिया है। यहां से बुधवार सुबह यह दया याचिका दिल्ली सरकार के होम डिपार्टमेंट में भेज दी जाएगी। जहां से केंद्रीय गृह मंत्रालय होते हुए इस याचिका को राष्ट्रपति के पास तक पहुंचा दिया जाएगा। इस पर फैसला कब होगा? इसका जवाब तो राष्ट्रपति के पास से ही मिल सकेगा। जेल अधिकारियों का कहना है कि राष्ट्रपति के पास मर्सी पेटिशन लगाने का इनके पास 21 जनवरी तक का समय है। इन्हें 14 दिन का पर्याप्त समय भी मिल रहा है। ऐसे में इस बात की उम्मीद बेहद कम है कि अगर राष्ट्रपति के पास से इनकी दया याचिका खारिज होती है तो उस स्थिति में इन्हें फिर से 14 दिन का समय दिया जाए। अगर 21 जनवरी को ही दया याचिका खारिज होती है तो उम्मीद है कि अगले दिन इन्हें फांसी पर लटकाने का मौजूदा आदेश ही इनके ऊपर लागू होगा।