नई दिल्ली
दिल्ली में हुए निर्भया कांड के 4 दोषियों में से एक अक्षय ठाकुर की रिव्यू पिटिशन पर सुनवाई आज के लिए स्थगित कर दी गई। अब इस मामले की सुनवाई बुधवार को होगी। सीजेआई ने कहा कि नई संविधान पीठ मामले की सुनवाई करेगी और बेंच का गठन बुधवार को ही सुबह 10.30 बजे किया जाएगा। चीफ जस्टिस के भतीजे ने केस में निर्भया की ओर से पैरवी की थी, इसलिए उन्होंने बेंच से खुद को अलग कर लिया। फांसी की सजा पाए चारों आरोपियों में से एक अक्षय ठाकुर ने सर्वोच्च अदालत से रहम की गुहार लगाई है। कोर्ट रूम में निर्भया के पैरंट्स भी सुनवाई के दौरान मौजूद रहे।
दोषी के वकील को 30 मिनट का दिया गया वक्त
चीफ जस्टिस ने दोषी अक्षय ठाकुर की रिव्यू याचिका पर दलील पेश करने के लिए वकील को 30 मिनट का वक्त दिया। ठाकुर के वकील ने कहा कि मेरे क्लाइंट के खिलाफ कोई सबूत नहीं है। मीडिया ने मेरे क्लाइंट के खिलाफ जमकर दुष्प्रचार किया।
निर्भया की मां ने याचिका का कोर्ट में किया था विरोध
निर्भया की मां ने दरिंदगी करने वालों में से एक दोषी के सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटिशन के खिलाफ याचिका दाखिल की है। निर्भया की मां ने रिव्यू पिटिशन खारिज करने की अपील करते हुए कहा कि दोषी ने रिव्यू पिटिशन फांसी की सजा में देरी के लिए डाली है। उन्होंने कहा कि दोषियों को जल्द से जल्द फांसी की सजा होनी चाहिए और उसमें देरी नहीं की जानी चाहिए।
एक साथ चारों को फांसी देने की तैयारी में तिहाड़ प्रशासन
इस बीच तिहाड़ जेल प्रशासन देश को दहला देने वाले निर्भया कांड के दोषियों को फांसी देने की तैयारियों में जुटा है। जेल सूत्रों के मुताबिक एक साथ ही चारों को फांसी देने के लिए एक नई तकनीक का परीक्षण किया जा रहा है। फांसी के तख्त में कुछ बदलाव के जरिए यह काम किया जा रहा है। इसके अलावा यह भी देखा जा रहा है कि क्या चार लोगों का वजन एक बार में यह उठा सकता है या नहीं। सूत्रों ने कहा कि यह जरूरी है कि चारों दोषियों को एक ही साथ फांसी पर लटकाया जाए। इसकी वजह यह है कि यदि किसी शख्स को बेचैनी के चलते समस्या हो जाती है या फिर वह बीमार हो जाता है तो फांसी टालनी होगी।
अभी कुछ दिन और टल सकती है फांसी
चारों दोषियों की सजा कुछ दिन के लिए अभी और टल सकती है। सुप्रीम कोर्ट से अक्षय की रिव्यू पिटिशन खारिज होने के बाद भी दोषियों के पास कुछ वक्त है। फांसी से पहले डेथ वॉरंट निकालना अनिवार्य होता है। जेल प्रशासन की ओर से 14 दिनों का वक्त सजायफ्ता कैदियों को फांसी के लिए मानसिक रूप से तैयार होने को दिया जाता है। इसके अलावा उन्हें इस दौरान अपनी वसीयत एवं अन्य चीजें तैयार करने का मौका मिलता है।