नई दिल्ली
लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी नागरिकता संशोधन विधेयक पास हो गया गया है। इसके माध्यम से 1955 के बिल में बदलाव किया गया है जिसके तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आने वाले 6 धर्मों के शरणार्थियों को नागरिकता दी जा सकेगी। प्रधानमंत्र मोदी ने इसे देश के लिए ऐतिहासिक दिन बताया है।
पीड़ितों की पीड़ा दूर करेगा बिलः पीएम
राज्यसभा में 125-105 से बिल को मंजूरी मिलने के बाद पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा, 'यह हमारे देश की दया और भाईचारे के लिए एक ऐतिहासिक दिन है। इस बात की प्रसन्नता है कि राज्यसभा में बिल पास हो गया और मैं विधेयक के पक्ष में वोट करने वाले सांसदों का आभारी हूं। यह विधेयक उन लोगों की पीड़ा दूर करेगा जो वर्षों से प्रताड़ित किए जाते रहे हैं।' कांग्रेस ने सदन में विधेयक का पुरजोर विरोधि किया था। बिल पास होने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि यह भारत के इतिहास में काला दिन है। शिवसेना ने बिल पर वोटिंग का बायकॉट किया। शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि शरणार्थियों को नागरिकता तो मिलनी चाहिए लेकिन उन्हें वोटिंग का अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए।
क्या है नागरिकता संशोधन विधेयक में प्रस्ताव
नागरिकता संशोधन विधेयक के तहत 1955 के सिटिजनशिप ऐक्ट में बदलाव का प्रस्ताव है। इसके तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आकर भारत में बसे हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रस्ताव है। इन समुदायों के उन लोगों को नागरिकता दी जाएगी, जो बीते एक साल से लेकर 6 साल तक में भारत आकर बसे हैं। फिलहाल भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए यह अवधि 11 साल की है।