भोपाल
प्रदेश में मंदिर, मस्जिद और चर्च की जमीन की अवैध रूप से की जाने वाली खरीद-फरोख्त पर रोक लगाने के लिए राज्य सरकार ऐसे धार्मिक स्थलों की सूची पंजीयन विभाग के रिकार्ड में अपलोड करेगी। इसका फायदा यह होगा कि लोग ऐसी जमीन की खरीदकर कानूनी विवाद में बच सकेंगे और धोखाधड़ी के शिकार नहीं होंगे। वहीं सरकार के कब्जे वाली ऐसी भूमि की सुरक्षा भी हो सकेगी।
पंजीयन विभाग को नए साफ्टवेयर से जोड़कर जमीन का सौदा करने वालों को राहत देने के लिए ऐसे साफ्टवेयर तैयार किए जा रहे हैं। इसके लिए विभाग की संपदा परियोजना को भू अभिलेख से कनेक्ट करने के साथ-साथ अन्य ऐसे विभागों से कनेक्ट करने की तैयारी है जिससे फ्राड के मामले में रोक लगाई जा सके। पंजीयन विभाग ऐसा साफ्टवेयर तैयार कर रहा है कि प्रापर्टी खरीदने और बेचने के दौरान यह पता चल जाएगा कि खरीदी जाने वाली भूमि सरकारी, वक्फ बोर्ड या धार्मिक ट्रस्ट (मंदिर, मस्जिद,चर्च आदि) की तो नहीं है। इसे लिंक करने के बाद जैसे ही जमीन के पंजीयन के लिए खसरा नम्बर अपलोड किया जाएगा वैसे ही धार्मिक प्रयोजन की जमीन होने पर इसकी जानकारी अफसरों के सामने आ जाएगी। इसका फायदा यह होगा कि ऐसी सार्वजनिक और आस्था वाली प्रापर्टी सुरक्षित रहेंगी और लोगों को भी इस तरह की संपत्ति खरीदने के बाद धोखाधड़ी के केस में नहीं उलझना पड़ेगा।
गौरतलब है कि सरकार पहले ही जीपीएस टैगिंग के द्वारा मोबाइल एप से संपत्ति की धोखाधड़ी रोकने की दिशा में कदम बढ़ा चुकी है। इस मोबाइल एप को डाउनलोड कर प्रापर्टी खरीदने वाला व्यक्ति आस-पास की भूमि की कलेक्टर गाइडलाइन के आधार पर कीमत का पता कर सकेगा और उस जमीन की लोकेशन भी परख सकेगा।
वाणिज्यिक कर विभाग राजस्व विभाग के भू अभिलेख से संपदा परियोजना के साफ्टवेयर को जोड़ने का काम पहले से ही कर रहा है। अब प्रदेश की नगरपालिकाओं और नगर व ग्राम निवेश से संबद्ध प्रापर्टी को भी लिंक करने की तैयारी है। इसका फायदा यह होगा कि मास्टर प्लान सड़क, पार्क, सामुदायिक भवन व अन्य सार्वजनिक प्रयोजन की जमीन की बिक्री पर रोक लगाई जा सकेगी।