नई दिल्ली
धनतेरस के समय गोल्ड एक बार फिर 40,000 रुपये के पार जा सकता है। साथ ही इस बार सिल्वर की कीमत भी 48,500 रुपये प्रति किलो पर जा सकती है। हालांकि घरेलू मार्केट में ज्यादा डिमांड नहीं है, मगर इंटरनैशनल लेवल पर गोल्ड और सिल्वर में बढ़ते निवेश के चलते दोनों के दामों पर दबाव बढ़ रहा है। धनतरेस के समय भारत में गोल्ड और सिल्वर की खरीदारी सबसे अधिक होती है। एक अनुमान के अनुसार, पूरे साल में गोल्ड और सिल्वर की जितनी खरीदारी होती है, उसकी 30 पर्सेंट खरीदारी अक्टूबर से शुरू होने वाले फेस्टिव सीजन में होती है।
पीपी ज्वैलर्स के वाइस चेयरमैन पवन गुप्ता का कहना है कि पूरे विश्व की इकॉनमी में स्लोडाउन की बात कही जा रही है। इसके चलते शेयर मार्केट में अनिश्चितता का माहौल है। ऐसे में इंटरनैशनल मार्केट में निवेशक गोल्ड और सिल्वर की तरफ लौट रहे हैं। एक समय इंटरनैशनल मार्केट में गोल्ड 1,000 से 1,200 डॉलर प्रति औंस (32 ग्राम) से नीचे चला गया था, मगर आज की तारीख में यह फिर 1,500 डॉलर प्रति औंस के ऊपर चल रहा है। भारत अपनी खपत का 90 पर्सेंट से ज्यादा गोल्ड इम्पोर्ट करता है। ऐसे में गोल्ड की कीमतों में तेजी को रोकना मुश्किल है।
अब धनतेरस के समय फिर घरेलू मार्केट में डिमांड बढ़ जाएंगी। इससे गोल्ड की कीमत में दबाव बनना स्वाभाविक है। पवन गुप्ता के अनुसार, पिछले दिनों इंटरनैशनल मार्केट में जो गिरावट आई थी, उससे गोल्ड और सिल्वर नीचे चले गए। अगर पहले की तेजी बरकरार रहती तो गोल्ड फिर तेजी के रेकॉर्ड बना सकता था।
ट्रेड वॉर पर नजर
मार्केट सर्वे एजेंसी विनायक इंक के प्रमुख विजय सिंह के अनुसार, गोल्ड और सिल्वर के मार्केट को सबसे अधिक अमेरिका-चीन के ट्रेडवॉर ने प्रभावित किया है। इससे दोनों देशों के शेयर और बांड्स मार्केट में अनिश्चितता का माहौल बना। इससे इन्वेस्टर्स बॉन्ड्स और शेयर मार्केट दोनों से भागे गए और उन्होंने गोल्ड मार्केट की तरफ रुख किया। इसका असर गोल्ड की कीमतों पर आना तय था। हालांकि इसके बाद इकनॉमिक सुस्ती की खबरें आईं। अमेरिका सहित भारत की जीडीपी ग्रोथ में नरमी का रुख रहा। इससे डॉलर के मुकाबले रुपये पर दबाव बढ़ा। रुपया टूटा तो गोल्ड का इंपोर्ट महंगा हुआ।