नई दिल्ली
जब भी नरेंद्र मोदी सरकार की सफल योजनाओं की बात होती है तो उज्ज्वला योजना का जरूर जिक्र होता है. इस योजना के जरिए सरकार हर गरीब घर में स्वच्छ ईंधन मुहैया कराती है. सरकार की इस योजना को पूर्वोत्तर में बड़ी सफलता मिली है. दरअसल, इस योजना की वजह से पूर्वोत्तर में 3 हजार करोड़ रुपये से अधिक का निवेश आकर्षित हुआ है. वहीं 3 हजार से अधिक लोगों को रोजगार भी मिले हैं.
असम के राज्य स्तरीय समन्वयक (पेट्रोलियम उत्पाद) यू. भट्टाचार्य ने बताया कि योजना के कारण एलपीजी उपभोक्ताओं की संख्या 30 अप्रैल 2017 के 48.3 लाख से बढ़कर अक्टूबर 2019 में 94 लाख के पार हो गई.भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘परिवारों को स्वच्छ ईंधन मुहैया कराने का इस योजना का सामाजिक उद्देश्य पूरा कर लिया गया है. इसके अलावा इस योजना ने निवेश, रोजगार सृजन, महिला सशक्तीकरण और ग्रामीण क्षेत्र की मजबूती के संदर्भों में भी असर डाला है.’’
निवेश का जिक्र करते हुए भट्टाचार्य ने कहा कि सार्वजनिक कंपनी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन ने 149 करोड़ रुपये की लागत से सिलेंडर में गैस भरने के छह प्लांट लगाए हैं. इसके अलावा कंपनी 290 करोड़ रुपये के अधिक के निवेश से त्रिपुरा के अगरतला और मेघालय के बाड़ापानी में 2020 तक दो नये प्लांट बना रही है.
इसी तरह कंपनी ने बढ़ी मांग की पूर्ति के लिए असम के बोंगईगांव प्लांट की टेक्नोलॉजी को 2,500 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश से उन्नत बनाया है. भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘इंडियन ऑयल के सिलेंडर भरने वालों प्लांट में टेक्नोलॉजी को उन्नत बनाने के लिए आने वाले वर्षों में करीब 100 करोड़ रुपये निवेश करने की योजना है. अलग शब्दों में कहें तो उज्ज्वला योजना के कारण आई अतिरिक्त मांग की पूर्ति के लिए 3 हजार करोड़ रुपये अधिक का निवेश किया जा रहा है.’’