भोपाल
मध्य प्रदेश के विश्वविद्यालयों में होने वाले दीक्षांत समारोहों (Convocation) में अब गाउन (Gown) नहीं, बल्कि स्टूडेंट खादी (Khadi) परिधानों में नजर आएंगे. यूजीसी (UGC) के निर्देश के बाद खादी ड्रेस को लेकर कॉर्डिनेशन कमेटी में प्रस्ताव को रखा जाएगा. कुलपतियों की सहमति के बाद प्रस्ताव पास होगा. सबकुछ ठीक रहा, तो आने वाले दीक्षांत समारोह में स्टूडेंट काले रंग के गाउन में नहीं, बल्कि खादी से बने कपड़ों में नजर आएंगे. कॉर्डिनेशन कमेटी में खादी से बनी कौन सी ऐसी ड्रेस होगी, इसको लेकर भी सहमति बनेगी.
शिक्षण संस्थानों को दीक्षांत समारोह के साथ दूसरे समारोहों में परिधान के लिए खादी और अन्य हथकरघा कपड़ों का उपयोग करने के लिए निर्देश जारी किए गए हैं. इस निर्देश के बाद प्रदेश में राज्यपाल के नेतृत्व में होने वाली कॉर्डिनेशन कमेटी की मीटिंग में यूजीसी के निर्देश पर तैयार प्रस्ताव को रखा जाएगा. कमेटी में सहमति बनने के बाद प्रस्ताव पास होगा और यह भी तय होगा कि खादी से बनी कौन सी ड्रेस दीक्षांत समारोह और अन्य कार्यक्रमों में छात्र-छात्राओं द्वारा पहनी जाएंगी.
जानकारी के अनुसार यूजीसी के सचिव रजनीश जैन ने सभी कुलपतियों को कहा है कि संस्थानों में खादी को अपनाने के लिए कार्रवाई करें जिससे खादी, सूत कातने वालों और बुनकरों को प्रोत्साहन मिले. आपको बता दें कि इन निर्देशों से पूर्व में ही कई बार दीक्षांत समारोहों में गाउन का विरोध हो चुका है. लोगों का मानना है कि दीक्षांत समारोह में भारतीय संस्कृति का ध्यान रखा जाना चाहिए और स्टूडेंट्स भारतीय परिधान ही पहनें.
मध्य प्रदेश के अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति रामदेव भारद्वाज ने न्यूज 18 को बताया कि 'दीक्षांत समारोहों में भारतीय परिधानों का ही इस्तेमाल होना चाहिए. हमारी यूनिवर्सिटी में खादी की ड्रेस का ही इस्तेमाल होता है. दीक्षांत समारोह और दूसरे कार्यक्रमों में स्टूडेंट गाउन में नहीं, बल्कि खादी से बने कपड़े पहनकर आते हैं. यूजीसी के निर्देश का मैं स्वागत करता हूं.' हिंदी विश्वविद्यालय के साथ कई ऐसी शैक्षणिक संस्थाएं हैं, जिनके कार्यक्रमों में भारतीय परिधान कुर्ता-पायजामा, साड़ी आदि ड्रेस कोड हैं.