मध्य प्रदेश

दिव्‍यांग बेटी को नहीं मिल रहा इलाज, पिता ने दी आत्‍मदाह की धमकी

श्योपुर
मध्‍य प्रदेश के श्‍योपुर में दिव्यांग बालिका (Divyang Girl) के उपचार के लिए मदद की गुहार लगा रहे होमगार्ड जवान की जब उसके विभाग और जिले के अन्य आला अधिकारियों नहीं सुनी, तो वह परेशान होकर अपने परिवार के साथ कलेक्ट्रेट (Collectorate) के बाहर आमरण-अनशन पर बैठ गया है. इस अनशन में दिव्यांग बेटी के अलावा उसकी दूसरी बेटी और पत्नी भी शामिल है, जो कमलनाथ सरकार (kamal Nath Government) से मदद की गुहार लगा रहे हैं. ये मामला होमगार्ड जवान अमर सिंह कुशवाह (Homeguard Jawan Amar Singh Kushwaha) का है, जो कि अपनी दिव्‍यांग बेटी के इलाज के लिए काफी समय से प्रयासरत हैं.

मदद के लिए गुहार लगा-लगाकर थक चुके होमगार्ड जवान अमर सिंह कुशवाह की जब किसी ने सुनवाई नहीं की, तो उन्हें अपनी बेटी की जिंदगी के खातिर कलेक्ट्रेट के बाहर अपने परिवार के साथ आमरण-अनशन पर बैठना पड़ा है. जवान की बेटी आरती कुशवाह जन्म से ही 90 प्रतिशत से अधिक दिव्यांग है, जो खुद हिल-डुल भी नहीं सकती है. जबकि उसके हाथ-पैर हमेशा अकड़े रहते हैं और आंखे खुली रहती हैं. यही नहीं, वह कुछ बोल भी नहीं पाती. हालांकि अमर सिंह उसका उपचार करवाने में कोई कमी नहीं छोड रहे हैं. बेटी के इलाज के लिए वह अपने हिस्से की दो से तीन बीघा जमीन तक बेच चुके हैं, लेकिन बेटी स्वस्थ नहीं हो सकी है. वह होम गार्ड सैनिक हैं और उनकी ड्यूटी श्योपुर जिला पंचायत सीईओ हर्ष सिंह के बंगले पर रहती है. उनकी बेटी की बीमारी इतनी गंभीर है कि उसका उपचार श्योपुर में नहीं हो सकता. इसलिए वह कई बार अपने गृह जिले मुरैना में अपना ट्रांसफर करवाए जाने की गुहार लगा चुके हैं, ताकि ग्वालियर के नजदीक होने की वजह से वह अपनी बेटी का इलाज करवा सके. लेकिन उनके अधिकारी कोई सुनवाई नहीं कर रहे हैं.

गौरतलब है कि होम गार्ड जवानों को 20 से 22 हजार रुपए वेतन मिलता है, जो नियमित न मिलते हुए कभी 10 दिन का तो कभी 15 दिन का वह भी तीन से चार महीने में मिलता है. इससे जवान को आर्थिक तंगी का सामना हमेशा करना पड़ता है. ऐसे हालातों में गंभीर बीमार बेटी का इलाज करवा पाना इस पिता के वश की बात नहीं है. बहरहाल, वह मदद की गुहार लगाने के लिए आमरण-अनशन पर बैठ गए हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं कर रहा है.

बेटी के इलाज के लिए आमरण-अनशन पर बैठे होम गार्ड जवान अमर सिंह कुशवाह का कहना है कि उसकी सुनवाई कोई नहीं कर रहा. वह ट्रांसफर के लिए और आर्थिक मदद के लिए कई बार गुहार लगा चुका है, लेकिन उसकी सुनवाई नहीं हो रही. होमगार्ड जवान का कहना है कि अगर अनशन के बाद भी सुनवाई नहीं हुई तो वह आत्मदाह कर लेगा, क्योंकि वह अपनी बेटी को उपचार के अभाव में मरते नहीं देख सकता.

आमरण-अनशन से पहले होमगार्ड जवान ने जिले के कलेक्टर बसंत कुर्रे से मुलाकात की, लेकिन उसकी सुनवाई करने के बजाए कलेक्टर ने उसे अस्पताल जाने के लिए कहकर वहां से भगा दिया. ऐसे में जवान अपने परिवार के साथ धरने पर बैठा हुआ है. जबकि होम गार्ड विभाग के कमांडेंट राहुल शर्मा से जब इस बारे में बात की गई तो वह जवान के ट्रांसफर के लिए वरिष्ठ अधिकारियों के यहां प्रस्ताव भेजे जाने की बात कहते हुए बच्ची की हालत को नाजुक बताने लगे. खैर, इस मामले में जिले के कलेक्टर बसंत कुर्रे से कई बार बात करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने मीडिया से कोई बात नहीं की.

जिले के अधिकारी तो इस होमगार्ड जवान की कोई मदद नहीं कर रहे, लेकिन जवान को उम्‍मीद है कि प्रदेश की कमलनाथ सरकार उसकी मदद करने के लिए जरूर हाथ बढ़ाएगी. हालांकि देखना होगा कि इस जवान की 90 प्रतिशत दिव्यांग बेटी के उपचार के लिए सरकार क्या मदद करेगी और होमगार्ड जवान को कब तक अनशन पर बैठना पड़ेगा.

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