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दशकों से बंद पड़े कश्मीर में  वीरान मंदिर फिर खुलेंगे

 
नई दिल्ली

केंद्र ने घाटी में वर्षों से वीरान पड़े हजारों मंदिरों को फिर से खोलने का ऐलान किया है। इससे खासकर कश्मीरी पंडितों में खुशी की लहर है। उन्हें उम्मीद है कि आतंकवाद और हिंसा के दौरान बर्बाद हुई यह विरासत फिर पनपेगी। आर्टिकल-370 के प्रावधानों की तरह मंदिरों से ताले हटेंगे। आरती होगी और घंटियों की आवाज वादियों में गूंजेगी।

 कश्मीरी संगठन ‘रूट्स इन कश्मीर’ के प्रवक्ता अमित रैना ने बताया कि साल 1986 के बाद शुरू हुई हिंसा में कई मंदिरों को निशाना बनाया गया था। मंदिरों की देखरेख करने वालों को घाटी छोड़नी पड़ी। वर्षों तक देखरेख के अभाव में वहां ढांचे भर बचे हैं। कुछ जगहों पर कब्जा हो गया। जैसे कि श्रीनगर के लाल चौक के पास करफियाली मुहल्ले में रघुनाथ मंदिर के चारों तरफ दुकानें बन गई हैं।’ घाटी के कुछ प्रमुख मंदिरों के बारे में जानिए जो वर्षों से बंद हैं…

सूर्य मंदिर
दक्षिण कश्मीर के मार्तंड में स्थित प्राचीन सूर्य मंदिर लगभग 1500 साल पुराना है। इस मंदिर का निर्माण महाराजा अशोक के बेटे ने करवाया था। माना जाता है कि सूर्य की पहली किरण निकलने पर राजा अपनी दिनचर्या की शुरुआत सूर्य मंदिर में पूजा करके करते थे। फिलहाल मंदिर खंडहर की शक्ल में है। इस मंदिर की ऊंचाई भी 25 फुट रह गई है।

शीतलेश्वर मंदिर
श्रीनगर के हब्बा कदल में 2000 साल पुराना शीतलेश्वर मंदिर है। जर्जर हालत में पहुंच चुके इस मंदिर को कश्मीरी पंडितों के एक संगठन ने फिर से आबाद किया था। हालांकि डर के माहौल के बीच मंदिर की देखरेख नहीं हो रही है। यह सूना पड़ा है।

खीर भवानी मंदिर
श्रीनगर से 30 किमी दूर गंदेरबल जिले के तुल्ला मुल्ला गांव में स्थित यह मंदिर कश्मीरी पंडितों की आराध्य रंगन्या देवी का है। यहां हर साल खीर भवानी महोत्सव मनाया जाता है। आतंकवादियों ने इस इलाके में कई बार हमला किया, जिसके बाद मंदिर को बंद करना पड़ा।

भवानी मंदिर
कश्मीर के अनंतनाग जिले में है भवानी मंदिर। 1990 में कश्मीरी पंडित घाटी छोड़कर गए, तो यह इलाका और मंदिर भी सूना हो गया। देखरेख के अभाव में बस ढांचा ही बचा है।

त्रिपुरसुंदरी मंदिर
कुलगाम जिले के देवसर इलाके में त्रिपुरसुंदरी मंदिर है। इसकी देखभाल करने वालों का कहना था कि आतंकियों की धमकी चलते इस मंदिर में रोजाना पूजा नहीं हो पाई।

मट्टन
पहलगाम मार्ग पर श्रीनगर से 61 किमी दूर यह हिंदुओं का पवित्र स्थल माना जाता है। यहां एक शिव मंदिर और खूबसूरत झरना है। वर्षों से बंद है।

ज्वालादेवी मंदिर
श्रीनगर के पुलवामा से करीब 20 किमी दूर खरेव में स्थित यह मंदिर कई वर्षों से बंद है। यह कश्मीरी पंडितों की ईष्ट देवी का मंदिर है।

नार नाग मंदिर
गंदेरबल जिले के तहसील कंगन में है 1500 साल पुराना भगवान शिव का मंदिर। पिछले साल इसमें तोड़फोड़ की घटना सामने आई थी।
 

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