त्वचा के नीचे दिखने वाली नीली नसों पर आपने भी गौर किया होगा लेकिन कभी सोचा नहीं होगा कि ये नसें तकलीफदेह भी हो सकती हैं। त्वचा की सतह के नीचे की ये नसें जब बढ़ने लगती हैं तो ये वैरिकोज वेन्स कहलाती है। सबसे अधिक प्रभावित नसें व्यक्ति के पैरों और पैरों के पंजों में होती हैं। कभी-कभी यह गंभीर समस्या का रूप ले लेती हैं और यह शरीर में रक्त संचार संबंधी समस्याओं के जोखिम के बढ़ने का संकेत भी हो सकती हैं।
टिश्यूज से नसें रक्त को हृदय की ओर ले जाती हैं। गुरुत्वाकर्षण के विपरीत नसें रक्त को पैरों से हृदय में ले जाती हैं। इस प्रवाह को ऊपर ले जाने में मदद के लिए नसों के अंदर वॉल्व होते हैं। जब वॉल्व दुर्बल हो जाते हैं तो रक्त सही तरीके से ऊपर की ओर चढ़ नहीं पाता और कभी-कभी नीचे की ओर बहने लगता है।
ऐसी स्थिति में नसें फूल जाती हैं और लंबाई बढ़ जाने से टेढ़ी-मेढ़ी भी हो जाती हैं। यही वैरिकोज वेन्स है। वैरिकोज वेन्स में बेहद खतरनाक अल्सर बन सकते हैं।
एम्स के डॉ. नबी वली के अनुसार, कोई भी नस वैरिकोज वेन्स हो सकती है, लेकिन इसका सबसे ज्यादा असर टांगो और पंजों में होता है। इसका कारण यह है कि खड़े होने या घूमने से नसों में दबाव बढ़ता है। इससे टांग सूज जाती है। ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर से सलाह लें क्योंकि यह खून का थक्का भी हो सकता है।
वैरिकोज वेन्स होने के कारण-
वैरिकोज वेन्स की समस्या का कारण बढ़ती उम्र, मोटापा, लंबे समय तक खड़े रहना या बैठना, जन्म के समय से ही क्षतिग्रस्त वॉल्व हो सकता है। पुरुषों से ज्यादा महिलाओं में इसका ज्यादा जोखिम होता है। गर्भावस्था में भी यह समस्या हो सकती है। गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करना या मेनोपॉज से हार्मोनल बदलवा भी इसका कारण हो सकते हैं।
वैरिकोज वेन्स के लक्षण-
जब नसों में रक्त का सही संचार नहीं होता है तो इसमें सूजन आने लगती हैं। इस लक्षण के अलावा और भी लक्षण होते हैं जो वैरिकोज वेन्स के कारण होते हैं और आमतौर पर लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं। वैरिकोज वेन्स की स्थिति में पैरों में दर्द, भारीपन होता है।
इसके लक्षण में जांघ, पैर या काफ मसल्स में ऐंठन, अकड़न या दर्द, टखनों में हल्की सूजन, लंबे समय के लिए बैठे या खड़े होने पर दर्द होना आदि शामिल है। यही नहीं एक या एक से अधिक नसों के आसपास खुजली होने लगती है।
अगर इनमें से कोई भी लक्षण ज्यादा समय से दिख रहे हैं तो डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर नसों की जांच करेंगे और रक्त का प्रभाव जांचने के लिए अल्ट्रासाउंड भी करवा सकते हैं। कई मामलों में नसों के आकलन के लिए वेनोग्राम भी किया जा सकता है। इसमें टेस्ट के दौरान एक इंजेक्शन से पैरों में एक विशेष रंग डालते हैं और उस जगह का एक्स रे लेते हैं। इससे रक्त प्रवाह की जानकारी मिलती है।
वैरिकोज वेन्स से बचने के उपाय-
डॉक्टर वली कहते हैं वैरिकोज वेन्स से बचने के लिए भी जीवनशैली पर ध्यान देना होगा। इससे बचने के लिए वजन को संतुलित रखने की बहुत जरूरत है। ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखें, लगातार ज्यादा देर तक बैठने या खड़े रहने से बचें। कुछ देर बैठने के बाद थोड़ा चलते-फिरते रहें। शारीरिक क्रिया जैसे योग या व्यायाम नियमित रूप से करें। ज्यादा फाइबर और कम नम वाला भोजन लें।
यदि जीवनशैली में बदलाव से फर्क नहीं पड़ रहा है या वैरिकोज वैन्स में ज्यादा दर्द है और इससे स्वास्थ्य बिगड़ रहा है तो सर्जरी की नौबत आ सकती है। सर्जरी के दौरान वैरिकोज वेन्स को काटकर निकाला जाता है। वैरिकोज वेन्स के उपचार के लिए कई तरीके उपलब्ध है जिसमें लेजर लर्जरी, एन्डोस्कोपिक वेन सर्जरी, स्क्लेरियोथैरेपी, माइक्रोस्क्लेरियोथैरेपी, एंडीवीनस एब्लेशन थैरेपी शामिल है।