करवा चौथ का व्रत हर सुहागिन महिला के लिए बहुत महत्व रखता हैं। पूरे दिन निर्जला रहकर महिलाएं इस व्रत को रखती हैं। इस व्रत के नियम बहुत कड़े होते हैं। इसलिए गर्भवती महिलाओं को ये व्रत करने से परहेज करना चाहिए। इसके अलावा जिन महिलाओं का डिलीवरी के बाद पहला व्रत है या फिर जिनके बच्चें छह माह से भी छोटे हैं, उन महिलाओं को भी व्रत करने से परहेज करना चाहिए। क्योंकि गर्भावस्था में आप जो भी खाती हैं, वही आपके बेबी के पेट तक पहुंचता है। इसी तरह ब्रेस्ट फीडिंग करने वाली महिलाओं को भी अपने खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। क्योंकि आपका खानपान आपके शिशु के खुराक से जुड़ा होता है।
करवा चौथ के व्रत में जब आप दिन भर अन्न-जल ग्रहण नहीं करतीं, तब इसका असर सीधा आपके बेबी के खुराक पर पड़ता हैं। इसलिए जानें डिलीवरी के बाद पहला करवा चौथ रखते हुए किन बातों का ध्यान रखें।
नई मांओं को रखना चाहिए इन बातों का ध्यान
स्तनपान करवाने वाली मांओं यानी न्यू मॉम्स की भी जिम्मेदारी है कि वे अपने बेबी की फीड का पूरा ध्यान रखें। छह महीने तक की उम्र के बच्चे के पूरी तरह मदर्स फीड पर ही निर्भर होते हैं। ऐसे में उनकी प्यास तक की निर्भरता आप पर है। अगर आप पूरे दिन कठिन व्रत करेंगी तो इसका असर आपके बेबी के फीड पर भी हो सकता है। यह काफी हद तक आपके मानसिक स्तर पर भी निर्भर करता है।
हो सकती हैं ये परेशानियां
हमारा शरीर एक विशेष प्रकार से तैयार होता है। जब हम व्रत करते हैं यानी आहार ग्रहण नहीं करते तो वह फैट के रूप में संचित एनर्जी से काम चलाता है। पर बेबीज के लिए यह काफी नहीं है। प्रेगनेंसी और ब्रेस्ट फीडिंग दोनों ही हालात में करवा चौथ व्रत रखने पर आपके शरीर पर डबल एनर्जी का भार पड़ जाता है। यह पूरा न होने पर चक्कर आना, कमजोरी, उल्टियां आदि की समस्या हो सकती है।
डिलीवरी के बाद पहली बार करवा चौथ का व्रत रखते हुए कड़ाई से नियम का पालन करने की जरुरत नहीं हैं। अपने लिए छूट लेने में परहेज न करें, अपने परिवार और ऐसे मामलों की जानकारी रखने वाले बड़े बुजुर्गों से बात करें।
व्रत रखने से पहले अपनी सेहत के अनुसार अपनी डॉक्टर से भी सलाह लें। छह माह से छोटे शिशु को ब्रेस्ट फीड करवाती हैं तो निर्जल व्रत न रखें। बीच-बीच में फल, फलों का रस, दूध, मेवे आदि लेती रहें।
धार्मिक आस्था के साथ-साथ आपको अपने बेबी की सेहत का भी ख्याल रखना है। व्रत आपका है, आपके बेबी का नहीं।