लखनऊ
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) ने नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान सूबे में हुई हिंसा के लिए पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया यानि पीएफआई (PFI) को जिम्मेदार ठहराया है. मौर्य ने कहा कि हिंसा के पीछे पीएफआई का हाथ था. सिमी के लोगों ने ही इस संगठन में शामिल होकर हिंसा फैलाई. जल्द ही प्रस्ताव लाकर सरकार की तरफ से प्रतिबंध लगाया जाएगा.
केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, " पीएफआई का नाम बदलकर सिमी ने नया अवतार धारण किया, पूरे उपद्रव, हिंसा व बलवा के पीछे पीएफआई का ही हाथ था. जांच में ये बात सामने भी आ रही है. इस बात को ध्यान में रखते हुए कि सिमी किसी भी रूप में प्रकट होगा तो उसे कुचल दिया जाएगा. इस प्रदेश में किसी भी प्रकार का देशद्रोही आचरण बर्दास्त नहीं किया जाएगा. इसे प्रतिबंधित करने के प्रस्ताव पर कम चल रहा रहा है जल्द ही इसे प्रतिबंधित किया जाएगा."
दरअसल, सूबे की डीजीपी ओपी सिंह ने पीएफआई पर बैन का प्रस्ताव शासन को भेजा है. डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य इस प्रस्ताव पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे थे. गौरतलब है कि बीते दिनों सूबे के 21 जिलों में हुए हिंसक प्रदर्शन में पीएफआई का नाम सामने आया था. जिसके बाद पीएफआई के प्रदेश अध्यक्ष वसीम अहमद, कोषाध्यक्ष नदीम अहमद और डिविजनल प्रेसीडेंट अशफ़ाक लखनऊ में गिरफ्तार भी हुए थे.
बताया जा रहा है कि सीएए व एनआरसी का विरोध, धारा 370, अयोध्या पर फैसले, तीन तलाक जैसे मुद्दों के बहाने विवादित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पीएफआई ने यूपी में अपनी पैठ बनाई. पिछले एक साल से पीएफआई यूपी में तेजी से सक्रिय हो रहा था. लखनऊ, बाराबंकी, बहराइच, हरदोई, लखीमपुर खीरी, सीतापुर, शामली, बिजनौर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, हापुड़, गाजियाबाद, अलीगढ़ में पीएफआई के लोग संगठन को विस्तार देने में लगे हुए हैं. हालांकि बाराबंकी, सीतापुर, मुजफ्फरनगर, बिजनौर और मेरठ में पीएफआई के लोगों के खिलाफ मुकदमे भी दर्ज हुए. लेकिन कई मामलों में पुलिस ने जांच के बाद फाइनल रिपोर्ट भी लगा दी. पीएफआई से जुड़े लोगों ने लखनऊ कुर्सी रोड स्थित भाखामऊ के एक निजी शिक्षण संस्थान, बाराबंकी में महादेवा के पास कुर्सी, अमरसंडा और बहराइच के जरवल में कई नुक्कड़ सभाएं की और पर्चे बांटे.