नई दिल्ली
शीर्ष कोर्ट के आदेश के बाद अयोध्या में जन्मस्थान पर मंदिर बनाने के लिए बनने वाले ट्रस्ट को लेकर विहिप ने सरकार पर दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया है। पूरे मामले में सड़क से उच्चतम न्यायालय तक लगातार संघर्ष करने वाली विहिप चाहती है कि उसके द्वारा बनाए गए श्रीराम जन्मभूमि न्यास का अधिकांश हिस्सा नए ट्रस्ट में शामिल किया जाए।
विहिप को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का भी समर्थन हासिल है। सरकार में ट्रस्ट के स्वरूप को लेकर पीएमओ, गृह व संस्कृति मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों में विचार-विमर्श शुरू हो गया है। कोर्ट ने ट्रस्ट के गठन के लिए सरकार को तीन माह का समय दिया है, पर सरकार इसमें ज्यादा देरी नहीं करना चाहती।
सूत्रों के अनुसार पीएमओ के अधिकारी गृह व संस्कृति मंत्रालय के साथ बैठकें कर रहे हैं और इसमें मंदिर निर्माण के साथ परिसर में विभिन्न निर्माण, जिनमें तीर्थयात्रियों की सुविधाएं, संग्रहालय व रामायणकालीन स्थानों का विकास करना शामिल हैं। संस्कृति मंत्रालय से कार्ययोजना बनाने को कहा गया है।
इस बीच सरकार की तरफ से ट्रस्ट के गठन में साधु-संतों के साथ विशिष्ट लोगों को शामिल किए जाने की चर्चाओं के बीच विहिप भी सक्रिय हो गई है। विहिप के उपाध्यक्ष चंपत राय कह चुके हैं, न्यास में सरकारी हस्तक्षेप न हो और ऐसे किसी व्यक्ति को शामिल न किया जाए जो सगुण उपासक न हो। इसके बाद श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास ने कहा है कि उनके न्यास को ही सरकार मान्यता दे और मंदिर निर्माण का काम सौंपे।
अलग से ट्रस्ट की जरूरत नहीं
संघ का मानना है कि समूचा आंदोलन व भव्य मंदिर की परिकल्पना और अभी तक तैयार की गई निर्माण सामग्री इसी न्यास के अनुसार तैयार की गई है। ऐसे में बदलाव से दिक्कत आएगी। भाजपा के एक नेता ने कहा, मामले की पिटीशन के क्लाज पांच में जन्मस्थान व न्यास का उल्लेख किया गया है, इसलिए अलग से ट्रस्ट बनाने की जरूरत नहीं है। इसी ट्रस्ट को सरकार मान्यता दे सकती है।