नई दिल्ली
5 सितंबर को शिक्षक दिवस है। इसी दिन डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन भी है। उनके जन्मदिन को ही शिक्षक दिवस यानी टीचर्स डे के रूप में मनाया जाता है। जब वह भारत के राष्ट्रपति बने तो उनके कुछ छात्रों ने उनका जन्मदिन मनाना चाहा। उन्होंने जवाब दिया, 'मेरा जन्मदिन मनाने की बजाए अगर 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाए तो यह मेरे लिए गर्व की बात है।' उनके सम्मान में तब से शिक्षक दिवस हर साल मनाया जाता है। आइए आपको बताते हैं उनके कुछ और दिलचस्प व अनसुने किस्से:
1- राधाकृष्णन अपने छात्रों के बीच बहुत लोकप्रिय थे। जब वह मैसूर यूनिवर्सिटी छोड़कर कलकत्ता यूनिवर्सिटी में पढ़ाने के लिए जाने लगे तो उनके छात्रों ने उनके लिए फूलों से सजी एक बग्धी का प्रबंध किया और उसे खुद खींचकर रेलवे स्टेशन तक ले गए।
2- राधाकृष्ण की शादी दूर की एक कजन से हुई थी। उनकी शादी मात्र 16 साल की उम्र ही हो गई थी। उनकी 5 बेटियां और 1 बेटा हुआ।
3- राधाकृष्ण के पिता नहीं चाहते थे कि उनका बेटा इंग्लिश सीखे। बल्कि उनकी ख्वाहिश थी कि वह पंडित या पुजारी बने। लेकिन राधाकृष्ण इतने तेज थे कि उन्हें पहले तिरूपति के स्कूल भेजा गया और फिर वेल्लोर।
4- वह बेहद साधारण और विनम्र स्वभाव के थे। भारत का राष्ट्रपति बनने के बाद भी उन्होंने अपनी सैलरी से मात्र ढाई हजार रुपये लेते थे, जबकि बाकी सैलरी प्रधानमंत्री के राष्ट्रीय राहत कोष को दान कर देते थे।
5- राधाकृष्णन के बारे में एक किस्सा है जो शायद ही लोग जानते होंगे। वह जब चीन के दौरे पर गए थे तो वहां वह मशहूर क्रांतिकारी, राजनैतिक विचारक और कम्युनिस्ट दल के नेता माओ से मिले। मिलने के बाद उन्होंने माओ के गाल थपथपा दिए। इससे माओ हतप्रभ रह गए। लेकिन राधाकृष्णन ने यह कहकर सभी का दिल जीत लिया कि वह उनसे पहले स्टालिन और पोप के साथ ऐसा कर चुके हैं।
6- डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने घोषणा की कि सप्ताह में दो दिन कोई भी व्यक्ति उनसे बिना पूर्व अनुमति के मिल सकता है। इस तरह से उन्होंने राष्ट्रपति को आम लोगों के लिए भी खोल दिया था। यही नहीं, वह अमेरिका के राष्ट्रपति भवन वाइट हाउस में हेलिकॉप्टर से अतिथि के रूप में पहुंचे थे। इससे पहले दुनिया का कोई भी व्यक्ति वाइट हाउस में हेलिकॉप्टर से नहीं पहुंचा था।
7- जब राधाकृष्णन भारत के राष्ट्रपति बने तो दुनिया के महान दर्शनशास्त्रियों में से एक बर्टेंड रसेल ने काफी प्रसन्नता जाहिर की। उन्होंने कहा, 'डॉ.राधाकृष्णन का भारत का राष्ट्रपति बनना दर्शनशास्त्र के लिए सम्मान की बात है और एक दर्शनशास्त्री होने के नाते मुझे काफी प्रसन्नता हो रही है। प्लेटो ने दार्शनिकों के राजा बनने की इच्छा जताई थी और यह भारत के लिए सम्मान की बात है कि वहां एक दार्शनिक को राष्ट्रपति बनाया गया है।'
8- राधाकृष्णन के सेंस ऑफ ह्यूमर का भी जवाब नहीं था। इसकी तारीफ सभी करते थे और उनका ह्यूमर अक्सर चर्चा का विषय बन जाता था। 1962 में ग्रीस के राजा ने जब भारत का राजनयिक दौरा किया तो सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने उनका स्वागत करते हुए कहा था- महाराज, आप ग्रीस के पहले राजा हैं, जो कि भारत में अतिथि की तरह आए हैं। सिकंदर तो यहां बगैर आमंत्रण का मेहमान बनकर आए थे।