भोपाल. कोरोना महामारी से मुकाबले के लिए जहां सम्पूर्ण देश बंद है, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो अपनी परवाह किये बगैर बेजुबानों की भूख मिटाने में लगे हैं। लॉकडाउन से सबसे ज्यादा प्रभावित सड़कों पर विचरण करने वाले जानवर हुए हैं, क्योंकि बाजार बंद होने से उन्हें जो थोड़ा बहुत खाना मिलता था वो भी पूरी तरह बंद हो गया है। ऐसे में कुछ शहरवासी इन बेजुबानों की मदद के लिए आगे आये हैं।
वे अलग-अलग इलाकों में घूमकर आवारा कुत्तों एवं गाय आदि को खाना खिला रहे हैं, ताकि कोरोना से लड़ाई की कीमत उन्हें अपनी जान देकर न चुकानी पड़े। कटारा हिल्स में रहने वाले नीरज नैयर आमतौर पर 20-25 कुत्तों को खाना खिलाते हैं, लेकिन इन दिनों यह संख्या काफी बढ़ गई है। वह हर रोज अपनी गाड़ी में खाने का सामान लेकर निकलते हैं और जहां कहीं भी जानवर नजर आते हैं रुककर उन्हें खाना खिलाते हैं। इसके अलावा, उनके पास मेडिकल किट भी हमेशा रहती है, ताकि घायल जानवरों को तुरंत सहायता प्रदान की जा सके।
खुद बनाते हैं रोटियां
नीरज कुत्तों को दूध, रोटी के साथ-साथ पेडिग्री भी खिलाते हैं। खासबात यह है कि रोटियां वह खुद ही बनाते हैं। उनका कहना है, चूंकि बेजुबानों के खाने की व्यवस्था करने का फैसला उनका है, इसलिए वह किसी और पर इसका बोझ नहीं लादना चाहते। हालांकि, लॉकडाउन के चलते जरूरी सामान मिलने में परेशानियां आ रही हैं, लेकिन इसके बावजूद भी उन्होंने एक दिन भी अधिकांश बेजुबानों को भूखे नहीं सोने दिया। नीरज कटारा हिल्स पुलिस की सराहना करते हुए कहते हैं कि इस नेक काम में पुलिसकर्मियों का हमेशा सहयोग रहा है।
गायों का भी रखते हैं ख्याल
कुत्तों के साथ-साथ जितना संभव हो गायों का भी ख्याल रखते हैं। वह हरी सब्जी, उसके छिलके आदि साथ लेकर चलते हैं। उन्होंने अपने कुछ दोस्तों से भी कह रखा है कि घर में सब्जी के छिलके या बचने वाले खाने को डस्टबिन में फेंकने के बजाए उन्हें दें, ताकि वो उसे जरूरतमंद बेजुबानों तक पहुंचा सकें। इसके अलावा, उन्होंने कुछ जगहों पर जानवरों के लिए पानी की व्यवस्था भी कराई है और यह सुनिश्चित करते हैं कि वहां पानी हर समय उपलब्ध रहे।
अपनी और परिवार की चिंता किये बगैर कर्तव्य निभा रहीं स्वाति
पीपल फॉर एनिमल्स (पीएफए) जैसे कुछ संगठन भी संकट की घड़ी में बेजुबानों को खाना उपलब्ध करा रहे हैं। पीएफए भोपाल प्रमुख स्वाति गौरव भदौरिया और उनकी टीम भी लगातार घूम-घूमकर भूखे जानवरों की सहायता कर रही है। इतना ही नहीं घायल जानवरों को उपचार भी मुहैया कराया जा रहा है। स्वाति हर रोज जोखिम उठाकर जानवरों को खाना खिलाने के लिए घर से बाहर निकलती हैं। उनके परिवार में पति और एक छोटा बच्चा है, इसके बावजूद वह बेजुबानों के प्रति अपने कर्तव्य को निभाने से पीछे नहीं हटतीं।
बात केवल खाना खिलाने तक ही नहीं है, पीएफए प्रमुख के नाते हर रोज उन्हें सैंकड़ों शिकायती कॉल भी रिसीव करने होते हैं और उनका समाधान भी खोजना होता है। स्वाति का दिन अलसुबह से ही शुरू हो जाता है। सबसे पहले उठकर वह बेजुबानों के लिए खाना पकाती हैं फिर घूम-घूमकर उनका पेट भरती हैं। लॉकडाउन की वजह से जानवरों के खाने-पीने के लिए कुछ भी मौजूद नहीं है, लिहाजा स्वाति की कोशिश रहती है कि अधिक से अधिक पशुओं को खाना उपलब्ध कराया जा सके।
पुलिस का सहयोग
लॉकडाउन में जहां घरों से बाहर निकलने पर मनाही है, वहीं पुलिसकर्मी बेजुबानों की मदद के इस नेक काम में हरसंभव सहयोग दे रहे हैं। बकौल स्वाति, कोलार थाने के पुलिसकर्मियों का पूरा सहयोग रहता है। यदि वे सहयोग न करें, तो जानवर भूखे मर जाएंगे। बाहर निकलने पर सड़कों पर तैनात पुलिसकर्मी रोकते हैं, लेकिन वजह बताने पर कुछ नहीं कहते।
खाना खिलाना है जरूरी
इस संकटकाल में गरीबों के साथ-साथ बेजुबानों का पेट भरना भी बेहद जरूरी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी यही अपील कर चुके हैं। यदि कुत्ते-गाय आदि जानवरों को खाना नहीं मिलता, तो भूख से लड़ाई में वह ज्यादा दिनों तक जिंदा नहीं रह पायेंगे और अगर ऐसा होता है तो एक नई समस्या जन्म ले लेगी। इसलिए आवश्यक है कि कोरोना से जंग में बेजुबानों का पेट भरने वालों के अभियान में सहभागिता बढ़ाई जाए।