अध्यात्म

जिसके कंधे पर जिम्मेदारी का बोझ हो वो कभी नहीं थकता

महाभारत युद्ध के दौरान भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दी सीख

भोपाल. महाभारत के युद्ध का पांचवा दिन था। युद्ध विराम होने के बाद भगवान श्री कृष्ण अपने निवास में आए। यहां पर योग साधना में लीन हो गए। वहीं अर्जुन युद्ध में बेहद थके हुए और परेशान थे। वे कृष्णा के पास आए और पूछा हे माधव एक बात बताओ, यहां एक से बढ़कर एक योद्धा हैं और सब थक कर चूर हुए हैं, लेकिन आप क्यों कभी नहीं थकते।

इस पर भगवान श्री कृष्णा ने मुस्करा कर कहा हे अर्जुन, जिसके कंधे पर जिम्मेदारी का बोझ हो वो कभी नहीं थकता। इस युद्ध में हर कोई लालच में युद्ध कर रहा है। किसी को राज्य चाहिए, किसी को धन चाहिए, लेकिन मुझे सिर्फ न्याय चाहिए। इसके साथ ही पांडवों की सुरक्षा की जिम्मेदारी का पूर्ण दायित्व निर्वहन कर सकूं, इसलिए मेरा कर्तव्य मुझे थकने नहीं देता।

जो भी जीव अपनी जिम्मेदारी समझता है, वो कभी नहीं थकता
भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जन को समझाते हुए कहा कि अपने जीवन में जो भी जीव अपनी जिम्मेदारी समझता है, वो कभी नहीं थकता। किसान खेत में मेहनत करते हुए नहीं थकता। बच्चों का निर्वाह करने वाला पिता कभी नहीं थकता। घर को संभालने वाली स्त्री भी कभी नहीं थकती।

जो जीव लालच में कर्म करता है वह जरूर थकता है
हम घर में ईश्वर की सेवा पूजा करते हैं। जब मन में भाव है तो हम कभी नहीं थकते। जब पूजा कर्म बन जाय तो हम निश्चित थक जाएंगे। भाव में विभोर जीव कभी नहीं थकता, उसे अपना दायित्व हमेशा याद रहता है। जो जीव लालच में कर्म करता है वह जरूर थकता है। कोई भी काम करने वाला एक निश्चित समय तक कर्म करता है, क्योंकि वो थक जाएगा, उसको विराम चाहिए। जो सेवा भाव में है वो अनंत तक चलते हंै।

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