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जम्मू-कश्मीर में हालात सुधरे, SPO के 5199 पदों के लिए जानें कितने युवाओं ने किया आवेदन

जम्मू 
जम्मू-कश्मीर में हालात पूरी तरह सामान्य होते दिख रहे हैं। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस केंद्रशासित प्रदेश में स्पेशल पुलिस ऑफिसर (एसपीओ) के 5,199 पदों पर भर्ती के लिए 77,000 से ज्यादा युवाओं ने आवेदन किया है। यह राज्यव्यापी भर्ती जम्मू-कश्मीर पुलिस की ओर से की जा रही है ताकि कानून-व्यवस्था पर काबू पाया जा सके। भर्ती के लिए आवेदन करने वाले 77,641 युवाओं का शरीरक परीक्षण हो चुका है और भर्ती की अंतिम प्रक्रिया जारी है। कश्मीर मंडल से 26,594 युवाओं ने आवेदन किया है। अनंतनाग जिले से 2,859 ने 409 पद के सापेक्ष आवेदन किया है। इसी तरह कुलगाम में 259 पद के सापेक्ष 989 और पुलवामा और शोपियां में 575 पदों के सापेक्ष 1469 ने आवेदन किया है। 

जम्मू-कश्मीर में सभी केंद्रीय कानून लागू होंगे: जितेंद्र

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में केंद्र सरकार के सभी कानून लागू किए जाएंगे। उन्होंने स्थानीय लोगों से इस प्रक्रिया में सरकार का सहयोग करने की अपील की। शनिवार को वो जलशक्ति और आपदा प्रबंधन पर केंद्रित सम्मेलन में भाग लेने पहुंचे थे। सिंह ने कहा कि  केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में सभी केंद्रीय कानूनों को लागू करने के लिए दृढ़ संकल्पित है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्देद 370 के निरस्तीकरण के बाद ज्वालामुखी फटने और भूकंप आ जाने की भविष्यवाणी करने वाले सभी लोग चुप हैं। सिंह ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि वे बिल्कुल आश्वस्त रहें। सभी केंद्रीय कानून नागरिक हितैषी हैं। इसका मकसद कतार में खड़े अंतिम व्यक्ति तक लाभ पहुंचाना और समाज के निचले तबके को निहित स्वार्थों के शोषण से मुक्त कराना है।
तमिलनाडु और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की सरकारों के सहयोग से प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग द्वारा जलशक्ति और आपदा प्रबंधन पर केंद्रित सम्मेलन ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ का आयोजन किया गया।

अनुच्छेद 370 हटाने का प्रतिकूल प्रभाव होगा : सलमान खुर्शीद

कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने शनिवार को कहा कि अनुच्छेद 370 लाने का उद्देश्य जम्मू-कश्मीर को देश के बाकी हिस्से से जोड़े रखना था। इसे बिना सोचे-समझे निष्प्रभावी कर दिया गया, जिसका क्षेत्र पर केवल प्रतिकूल प्रभाव होगा। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ‘अनुच्छेद-370 हटाने का एक प्रतिकूल प्रभाव होगा। आपने हमें इसका कोई विकल्प नहीं दिया कि कश्मीर को जिस तरह से जुड़कर रहना चाहिए। वह हमारे साथ जुड़कर कैसे रहेगा और एकीकरण का मतलब उनकी आकांक्षाओं का तिरस्कार नहीं है, एकीकरण सबसे हितकर भावना है। मेरा मानना है कि इस पर समुचित तरीके से विचार नहीं किया गया।’

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