श्रीनगर
आतंकियों के साथ पकड़े गए डीएसपी देविंदर सिंह को लेकर जम्मू-कश्मीर पुलिस ने साफ किया कि उसे गृह मंत्रालय की ओर से कोई वीरता पदक नहीं दिया गया था। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए कहा कि देविंदर को गृह मंत्रालय नहीं बल्कि पूर्व की जम्मू-कश्मीर राज्य सरकार ने वीरता पदक से सम्मानित किया था। वहीं जम्मू-कश्मीर लेफ्टिनेंट गवर्नर के सलाहकार फारूक खान ने कहा कि कुछ राजनीतिक दल इस मामले में भी राजनीति कर रहे हैं जबकि यह मामला देश की सुरक्षा से जुड़ा है।
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से लिखा, 'यह स्पष्ट किया जा रहा है कि डीएसपी देविंदर सिंह को गृह मंत्रालय की ओर से वीरता या मेधावी पदक नहीं दिया गया है जैसा कि कुछ मीडिया संस्थान लिख रहे हैं। यह पूरी तरह गलत है। देविंदर सिंह को 2018 में पूर्व की जम्मू-कश्मीर राज्य की सरकार ने वीरता पदक दिया था।'
2017 में हुई कार्रवाई में हिस्सा लेने के लिए राज्य ने दिया था पदक
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने लिखा, 'उसे (देविंदर सिंह) जम्मू-कश्मीर राज्य सरकार ने पुलवामा जिले में 25/26 अगस्त 2017 में हुए फिदायीन हमले के काउंटर अभियान में हिस्सा लेने के लिए सम्मानित किया था। उस वक्त देविंदर पुलिस लाइंस में डीएसपी थे।' जम्मू-कश्मीर पुलिस ने मीडिया को तथ्यों से परे काल्पनिक स्टोरी न लिखने की सलाह दी।
पुलिस ने आगे ट्वीट किया, 'जम्मू-कश्मीर पुलिस अपने प्रफेशनलिज्म के लिए जानी जाती है और अगर अपना ही काडर किसी भी गैरकानूनी गतिविधि में शामिल हो तो उसे भी छोड़ा नहीं जाता है।' जम्मू-कश्मीर पुलिस ने आगे लिखा, 'हम पहले भी ऐसा कई बार कर चुके हैं और इस केस में भी हमने अपने इनपुट के आधार पर अपने अधिकारी को पकड़ा है। जम्मू-कश्मीर आगे भी अपनी आचार संहिता का पालन करती रहेगी जो कि सभी के लिए समान हैं।'
आतंकियों के साथ कार में गिरफ्तार हुआ था डीएसपी
बता दें कि देविंदर को 13 जनवरी को कुलगाम जिले में श्रीनगर-जम्मू नैशनल हाइवे पर एक कार में गिरफ्तार किया गया था। वह हिज्बुल कमांडर सईद नवीद, एक दूसरे आतंकी रफी रैदर और हिज्बुल के एक भूमिगत कार्यकर्ता इरफान मीर को लेकर जम्मू जा रहा था। इस मामले में पुलिस देविंदर और नवीद से पूछताछ कर रही है। पहले यह खबर थी कि अगस्त 2019 में देविंदर को राष्ट्रपति के हाथों वीरता पदक से सम्मानित किया जा चुका है जिसे अब जम्मू-कश्मीर पुलिस ने खारिज कर दिया है।
कुछ लोग इस मामले में भी राजनीति कर रहे हैं- फारूक खान
उधर, जम्मू-कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर के सलाहकार फारूक खान ने इस मसले पर ज्यादा कुछ बोलने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, 'मैं इस मसले पर ज्यादा चर्चा नहीं करना चाहता। हर संस्था में एक ब्लैक शीप होता है, वह (दाविंदर सिंह) भी ब्लैक शीप था… लेकिन जम्मू-कश्मीर को इसका श्रेय जाना चाहिए कि उन्होंने उसकी पहचान कर पकड़ा और उसके द्वारा रचे गए षडयंत्र का पर्दाफाश किया। उन्होंने आगे कहा, 'दुर्भाग्यवश कुछ राजनीतिक दल इस मामले में भी राजनीति कर रहे हैं जबकि यह मामला देश की सुरक्षा से जुड़ा है।'