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जंगलों में घूमना पसंद, बाइक के साथ पेट लवर भी हैं नए चीफ जस्टिस बोबडे

 
नई दिल्ली 

 देश के 47वें और सुप्रीम कोर्ट के नए मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति शरद अरविंद बोबडे अयोध्या और निजता के अधिकार सहित अहम फैसले सुनाने वाली बेंच का हिस्सा रहे हैं. एक ऐसे विधि और न्यायविद् जो अपने विषयों के अलावा जंगलों में घूमने, स्पोर्ट्स, बाइक के साथ-साथ पेट लवर भी हैं.

18 नवंबर को जब जस्टिस रंजन गोगोई अपना 65वां जन्मदिन मना रहे होंगे तब जस्टिस बोबडे देश के 47वें मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ लेंगे. जस्टिस बोबडे ने कई ऐतिहासिक फैसलों में अहम भूमिका निभाई. हाल ही में अयोध्या के विवादित स्थल पर राम मंदिर बनाने का रास्ता साफ करने के फैसले में भी उनकी भूमिका रही. 63 वर्षीय न्यायमूर्ति बोबडे रंजन गोगोई का स्थान ले रहे हैं.

माना जा रहा है कि उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति या उनके नाम को खारिज करने संबंधी कॉलेजियम के फैसलों का खुलासा करने का मामला हो या उच्च न्यायपालिका में जजों के खाली पदों पर भर्ती का मामला, जस्टिस बोबडे परंपरा और अपने नजरिए का तालमेल बिठाएंगे.

23 अप्रैल 2021 को होंगे सेवानिवृत्त
जब सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की संविधान पीठ ने अगस्त 2017 में निजता के अधिकार को भारत में संवैधानिक रूप से संरक्षित मूल अधिकार होने का फैसला दिया तो जस्टिस बोबडे भी इसका हिस्सा थे. न्यायमूर्ति बोबडे 17 महीने तक उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश पद पर रहेंगे और 23 अप्रैल 2021 को सेवानिवृत्त होंगे.  

24 अप्रैल 1956 को नागपुर में जन्मे न्यायमूर्ति बोबडे के पिता अरविंद श्रीनिवास बोबडे भी मशहूर वकील थे. वरिष्ठता क्रम की नीति के तहत निवर्तमान प्रधान न्यायाधीश जस्टिस गोगोई ने महीने भर पहले उनका नाम केंद्र सरकार को अपने उत्तराधिकारी के तौर पर भेजा था.

जस्टिस बोबडे ने दी थी क्लीन चिट
न्यायमूर्ति बोबडे को सीजेआई पद पर नियुक्त करने के आदेश पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दस्तखत किए, जिसके बाद विधि मंत्रालय ने उन्हें भारतीय न्यायपालिका के शीर्ष पद पर नियुक्त करने की अधिसूचना जारी की. न्यायमूर्ति बोबडे की अध्यक्षता में ही उच्चतम न्यायालय की तीन सदस्यीय समिति ने सीजेआई गोगोई को उन पर न्यायालय की ही पूर्व कर्मी द्वारा लगाए गए आरोप में क्लीन चिट दी थी. इस समिति में न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति इंदू मल्होत्रा भी शामिल थीं.

इससे पहले न्यायमूर्ति बोबडे 2015 में उस तीन सदस्यीय पीठ में शामिल थे, जिसने स्पष्ट किया कि भारत के किसी भी नागरिक को आधार संख्या के अभाव में मूल सेवाओं और सरकारी सेवाओं से वंचित नहीं किया जा सकता. हाल ही में न्यायमूर्ति बोबडे की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) का प्रशासन देखने के लिए पूर्व नियंत्रक एवं महालेखाकार विनोद राय की अध्यक्षता में बनाई गई प्रशासकों की समिति को निर्देश दिया कि वे निर्वाचित सदस्यों के लिए कार्यभार छोड़ें.

नागपुर में 21 साल की वकालत
नागपुर विश्वविद्यालय से कला एवं कानून में स्नातक की उपाधि हासिल करने के बाद बोबडे ने 1978 में महाराष्ट्र विधिज्ञ परिषद में बतौर अधिवक्ता अपना पंजीकरण कराया. बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ में 21 साल तक वकालत करने के बाद 1998 में वो सीनियर एडवोकेट बनाए गए.

रिटायरमेंट के अगले दिन मनाएंगे अपना जन्मदिन
29 मार्च 2000 को बॉम्बे हाई कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में उन्होंने शपथ ली थी. 16 अक्टूबर 2012 को वह मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने. 12 अप्रैल 2013 को उनकी पदोन्नति उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में हुई. अब 18 नवंबर 2019 से 23 अप्रैल 2021 तक 17 महीने वो देश के चीफ जस्टिस रहेंगे. रिटायर होने के अगले ही दिन यानी 24 अप्रैल 2021 को जस्टिस बोबडे अपना जन्मदिन मनाएंगे.

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