नई दिल्ली
मोदी सरकार के अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले को विस्तार से आम लोगों को समझाने के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) देशव्यापी कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बना रही है. बीजेपी का मकसद अगले एक महीने में ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचना और उनको यह बताना है कि आखिर मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा हटाने का फैसला क्यों लिया?
बीजेपी अनुच्छेद 370 को लेकर व्यापक स्तर पर कार्यक्रम आयोजित करने की योजना उस समय बना रही है, जब सुप्रीम कोर्ट इसको चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने को तैयार हो गया है और मोदी सरकार को नोटिस भेजा है. बीजेपी का यह अभियान 3 सितंबर को शुरू होगा और 30 सितंबर तक खत्म होगा. भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह इस कार्यक्रम की शुरुआत करेंगे.
बीजेपी का यह अभियान संपर्क अभियान और जन जागरण अभियान के रूप में दो हिस्सों में आयोजित किया जाएगा. संपर्क अभियान की अगुवाई केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत करेंगे. वो अपनी पार्टी के 5 सहयोगियों के साथ मशहूर और प्रभावशाली लोगों से मुलाकात करेंगे और उनको अनुच्छेद 370 को हटाने के सकारात्मक और भविष्य के फायदे को समझाने की कोशिश करेंगे.
संपर्क अभियान के तहत 50 फीसदी ऐसे लोगों से मुलाकात की जाएगी, जो बीजेपी की विचारधारा से सहमत हैं और 50 फीसदी ऐसे लोगों से मुलाकात की जाएगी, जो बीजेपी की विचारधारा की आलोचना करते रहते हैं. सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्पष्ट निर्देश है कि इस अभियान में सिर्फ अपने लोगों को ही शामिल नहीं किया जाना चाहिए.
वहीं, जन जागरण अभियान केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की अगुवाई में चलाया जाएगा. इसके लिए शहरों में 35 बड़े कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. इन कार्यक्रमों में करीब 2,000 से 2,500 लोगों की भीड़ जुटाने की कोशिश की जाएगी, जिनको बीजेपी के शीर्ष नेता और केंद्रीय मंत्री संबोधित करेंगे. इस दौरान लोगों को जम्मू-कश्मीर की पृष्ठभूमि, इतिहास और विशेष दर्जा को लेकर प्रदर्शनी आयोजित करने की भी इजाजत होगी.
जन जागरण अभियान के तहत 370 स्थानों पर बैठकें आयोजित की जाएंगी. इन बैठकों में 500 से लेकर एक हजार लोगों को जुटाने की कोशिश की जाएगी. इन 370 बैठकों में से नौ बैठकें नवगठित केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में आयोजित की जाएंगी. इन नौ बैठकों में से तीन बैठकें जम्मू, चार कश्मीर और दो लद्दाख (एक लेह और एक कारगिल) में आयोजित की जाएंगी.
जम्मू-कश्मीर में आयोजित किए जाने वाले इन कार्यक्रमों में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह हिस्सा नहीं लेंगे. सबसे ज्यादा 60 बैठकें देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में आयोजित की जाएंगी, जबकि बिहार में करीब 25 और पश्चिम बंगाल में 20 बैठकें आयोजित की जाएंगी.