भोपाल
मध्य प्रदेश की राजनीति में मंगलवार की रात सियासी भूचाल आ गया। कांग्रेस 6 विधायकों समेत राज्य में सत्तारूढ़ गठबंधन के 10 विधायकों के बीजेपी खेमे में जाने की खबर के बाद राज्य में सरकार के अस्तित्व पर ही खतरा मंडराने लगा है। दरअसल, पूरे सियासी खेल के पीछे मध्य प्रदेश में 3 सीटों पर जल्द ही होने जा रहे राज्यसभा चुनाव हैं। आइए जानते हैं कि गुजरात हो या मध्यप्रदेश, राज्यसभा चुनाव से पहले क्यों देश में सियासी तूफान मच जाता है…
आगामी 26 मार्च को देश के 17 राज्यों की 55 सीटों पर चुनाव होना है। माना जा रहा है कि 26 मार्च को होने वाले चुनाव के बाद बीजेपी को तीन सीटों का नुकसान होगा। फिलहाल 55 सीटों में से 15 सीटें बीजेपी के पास हैं। विधानसभा में संख्या बल पर नजर डालें तो यह सुनिश्चित है कि कांग्रेस शासित मध्य प्रदेश और राजस्थान में बीजेपी को एक-एक सीट का नुकसान उठाना पड़ेगा। इसके अलावा बीजेपी बिहार में एक सीट का नुकसान उठाना पड़ेगा। इस चुनाव में अगर बीजेपी 3 सीटें हारती है तो भगवा पार्टी राज्यसभा की कुल 239 सीटों में 82 से घटकर 79 पर आ जाएगी।
तीन सीटें गंवाकर भी बीजेपी को नहीं होगी दिक्कत
3 सीटें गंवाने के बाद भी बीजेपी एनडीए के अपने सहयोगी दलों और वाईएसआर कांग्रेस, टीआरएस तथा बीजेडी जैसे मित्र दलों की मदद से राज्यसभा में 125 सदस्यों के जादूई आंकड़े संख्या को पा सकती है। इससे वह किसी भी बिल को राज्यसभा में पारित करा सकती है। हालांकि बीजेपी को इन 3 सीटों से ज्यादा वर्ष 2022 के बाद की चिंता सता रही है। दरअसल, वर्ष 2022 में उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में चुनाव होने हैं। अभी जून और नवंबर में यूपी में 10 सीटों और कर्नाटक में 4 सीटों पर चुनाव होना है। इसमें यूपी में बीजेपी को 5 सीटें और कर्नाटक में 1 सीट मिलेगी। इससे बीजेपी की कुल संख्या साल के अंत तक 85 हो जाएगी।
वर्ष 2022 में 68 सीटों पर होंगे राज्यसभा चुनाव
वर्ष 2022 में राज्यसभा की 68 सीटों के लिए चुनाव होना है। इससे राज्यसभा का स्वरूप ही बदल सकता है। बीजेपी को उस समय की चिंता सता रही है। उसे डर है कि अगर असम, पश्चिम बंगाल, पंजाब, यूपी, तमिलनाडु, उत्तराखंड और बिहार में विपक्ष ने अच्छा प्रदर्शन किया तो बीजेपी के लिए मुश्किल काफी बढ़ सकती है। इसीलिए बीजेपी जहां भी संभावना है, वहां पर एक-एक राज्यसभा सीट के लिए अपनी पूरी ताकत झोक रही है। बीजेपी की कोशिश है कि राज्यसभा में ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल की जाएं ताकि कई महत्वपूर्ण विधेयकों को आसानी से संसद से पारित कराया जा सके। इस तरह से राज्यसभा चुनाव केंद्र की सत्तारूढ़ बीजेपी और विपक्ष के लिए अस्तित्व की जंग में बदल गया है।
गुजराज में दो 'चाणक्यों' के बीच हुई थी जंग
मध्य प्रदेश से पहले इसका बड़ा उदाहरण गुजरात में देखने को मिला था। गुजरात में वर्ष 2017 में बीजेपी के चाणक्य अमित शाह और कांग्रेस के चाणक्य कहे जाने वाले अहमद पटेल के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिला था। अगस्त 2017 में हुए राज्यसभा चुनाव के दौरान बीजेपी कैंडिडेट राजपूत को अहमद पटेल ने शिकस्त दी थी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल चुनाव भले जीत गए लेकिन इसके लिए कांग्रेस को अपने विधायकों को कर्नाटक के रिजॉर्ट में सुरक्षित रखना पड़ा था। अगर कांग्रेस के बागी विधायकों का वोट रद्द नहीं हुआ होता तो अहमद पटेल चुनाव हार गए होते।
वर्ष 2019 में हुए राज्यसभा चुनाव में भी गुजरात में कांटे की टक्कर देखने को मिली थी। चुनाव परिणामों से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल को करारा झटका लगा था। वर्ष 2017 में अहमद पटेल के राज्यसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के पक्ष में वोट करके चर्चा में आए भारतीय ट्राइबल पार्टी के नेता और विधायक छोटू वसावा ने बीजेपी से हाथ मिला लिया। छोटू वसावा, उनके बेटे महेश वसावा और गुजरात विधानसभा में एकमात्र एनसीपी विधायक कंधल जडेजा ने बीजेपी के पक्ष में वोट किया।
मध्य प्रदेश में बीजेपी पर हॉर्स ट्रेडिंग का आरोप
मध्य प्रदेश कांग्रेस ने बीजेपी पर हॉर्स ट्रेडिंग का आरोप लगाया है। सीएम कमलनाथ ने मध्य प्रदेश में हॉर्स ट्रेडिंग के आरोपों पर कहा था, 'मैं दिग्विजय सिंह के बयान से पूरी तरह सहमत हूं। बीजेपी डरी हुई है क्योंकि आने वाले दिनों में उनके 15 साल के शासनकाल में हुए घोटालों का खुलासा होने वाला है।' कमलनाथ ने आगे कहा, 'विधायक मुझे खुद बता रहे हैं कि उन्हें पैसा देने की बात की जा रही है।' उधर, नेता विपक्ष और बीजेपी नेता गोपाल भार्गव ने कहा है कि कांग्रेस का अंतर्विरोध है जिसे ढंकने की कोशिश हो रही है। सिंह राज्यसभा जाना चाहते हैं। इसलिए इस तरह की बात कर रहे हैं।
बता दें कि राज्यसभा चुनाव के लिए अधिसूचना 6 मार्च को जारी होगी। नामांकन की आखिरी तारीख 13 मार्च है। मतदान 26 मार्च की सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक होंगे। जिसके बाद शाम 5 बजे मतगणना होगी। इन 55 सीटों में से 7 महाराष्ट्र, 4 ओडिशा, 5 तमिलनाडु, 5 पश्चिम बंगाल, 4 आंध्र प्रदेश, 2 तेलंगाना, 3 असम, 5 बिहार, 2 छत्तीसगढ़, 4 गुजरात, 2 हरियाणा, 1 हिमाचल प्रदेश, 2 झारखंड, 3 मध्य प्रदेश, 1 मणिपुर, 3 राजस्थान और एक मेघालय से हैं।