हम सभी ने कई ऐसी खबरों को पढ़ा होगा या सुना होगा, जहां किसी शिक्षक की विदाई पर गांव के लोग रोते हैं तो कोई डीएम के जाने पर उन्हें भावभीनी विदाई देता है। लेकिन एक ऐसी घटना सामने आई है, जिसके बारे में जानकर आप दंग रह सकते हैं। क्योंकि घटना ही कुछ ऐसी है। आइए जानते हैं उस घटना के बारे में जो चर्चा की विषय बनी हुई है।
दरअसल, मिजोरम के सियाहा जिले के तिसोपी गांव में बीते रविवार को जिलाधिकारी भूपेश चौधरी को गांव के लोगों ने पालकी पर बैठाया। जिलाधिकारी भूपेश चौधरी सड़क निर्माण का निरीक्षण करने 15 किलोमीटर की ट्रैकिंग कर के गांव पहुंचे हुए थे।
ग्रामीणों के अनुसार यह पहली बार है जब कोई जिलाधिकारी गांव पहुंचा। तिसोपी गांव सियाहा जिले के सबसे दूरस्थ गांवों में से एक है। इस गांव में सड़कें पक्की तक नहीं हैं। जिलाधिकारी ने इस गांव में 15 किलोमीटर की पक्की सड़क बनाने का आदेश दिया है, जिसका काम शुरू हो गया है।
जिलाधिकारी भूपेश चौधरी इसी काम के निरीक्षण के सिलसिले में गांव आए हुए थे। गांव में यह सड़क प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत बनवाई जा रही है। बता दें कि कुछ दिन पहले ही जिले में भूपेश चौधरी की पोस्टिंग हुई थी और उन्हें यहां सड़क नहीं होने की जानकारी मिली थी।
जिलाधिकारी भूपेश चौधरी ने बताया कि पहाड़ी क्षेत्र पर बसे गांव की आबादी 400 है। यहां के लोग खेती पर निर्भर हैं। सड़क का निरीक्षण करते बुए मैं जैसे ही गांव में पहुंचा तो लोगों ने पालकी पर बिठा लिया। मैं उन्हें रोकना चाहता था, लेकिन अगर मैं उन्हें रोकता तो बुरा लग सकता था।